नई दिल्ली। नीट पेपर लीक मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नीट-यूजी एग्जाम को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा। इससे यह परीक्षा देने वाले लाखों ईमानदार कैंडिडेट्स गंभीर खतरे में आ जाएंगे। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने कहा कि उन लोगों के करियर की संभावनाओं के लिए भी ठीक नहीं है, जिन्होंने इसे पास कर लिया। केंद्र और एनटीए ने एक याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में कहा कि परीक्षा में हुई कथित अनियमितताओं या गड़बड़ियों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा रद्द ना करने के लिए तर्क देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर गड़बड़ी होने या गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और पहले ही घोषित परिणामों को रद्द करना उचित नहीं होगा। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे भी छात्र हैं, जिन्होंने बिना गड़बड़ी किए परीक्षा दी है। उनके प्रतिस्पर्धा के अधिकार और हितों को खतरे में नहीं डाला जा सकता। बता दें कि नीट पेपर लीक, परीक्षा में हुईं गड़बड़ियों और ग्रेस मार्क्स के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई सभी 26 याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होगी। इसमें से 22 याचिकाएं स्टूडेंट्स, टीचर्स, कोचिंग इंस्टीट्यूट और वेलफेयर एसोशिएशन की तरफ से दायर की गई हैं। वहीं 4 याचिकाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से दायर हुई हैं।
परीक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं हुई :एनटीए
एनटीए ने कहा, नीट यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करना व्यापक जनहित के खिलाफ होगा। पेपर लीक की कथित घटनाओं का परीक्षा के ऑपरेशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस एग्जाम को पूरी निष्पक्षता और गोपनीयता के साथ कराया गया है। एग्जाम के दौरान बड़े स्तर पर गड़बड़ियों और अनियमितताओं के दावे पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं। इनका कोई आधार नहीं है।
सात आरोपियों की रिमांड खत्म, पटना की सीबीआई कोर्ट में पेशी
बिहार और झारखंड से नीट पेपर लीक मामले में गिरफ्तार हुए सात आरोपियों की रिमांड कल खत्म हो गई। इसके बाद सभी आरोपियों का मेडिकल टेस्ट कराया गया। इसके बाद इन्हें पटना में सीबीआई कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया है। आरोपियों में चिंटू, मुकेश, मनीष प्रकाश, आशुतोष, ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसान उल हक, वाइस प्रिंसिपल इम्तियाज और जमालुद्दीन शामिल हैं।