नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को इंटरनेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का खुलासा किया है। मामले में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की एक महिला डॉक्टर समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड एक बांग्लादेशी है। डीसीपी ने बताया कि हमने एक डोनर्स और रिसीवर को भी गिरफ्तार किया है। रैकेट में शामिल रसेल नाम का एक व्यक्ति मरीजों और डोनर्स की व्यवस्था करता था। वे प्रत्येक ट्रांसप्लांट के लिए 25-30 लाख रुपए लेते थे। यह रैकेट 2019 से चल रहा था। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार महिला डॉक्टर की पहचान 50 साल की डॉ. विजया कुमारी के रूप में हुई है। वो फिलहाल निलंबित हैं। वह ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट के साथ काम करने वाली अकेली डॉक्टर हैं। उन्होंने नोएडा स्थित यथार्थ अस्पताल में 2021-23 के दौरान लगभग 15-16 ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए थे।

डॉ विजया ने 15 साल पहले इंद्रप्रस्थ अपोलो जॉइन किया था
सूत्रों ने बताया कि डॉ विजया कुमारी एक सीनियर कंसल्टेंट और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन हैं। उन्होंने 15 साल पहले जूनियर डॉक्टर के तौर पर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल जॉइन किया था। वह अस्पताल में फी-फॉर-सर्विस यानी काम के आधार पर पैसों, पर काम करती थीं। वह अस्पताल की रेगुलर कर्मचारी नहीं थी। पुलिस ने डॉ विजया के असिस्टेंट विक्रम को भी गिरफ्तार किया है।

डोनर से 4-5 लाख, रिसीवर से 25-30 लाख में होता था सौदा
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, डॉ विजया कुमारी और रैकेट से जुड़े अन्य लोग बांग्लादेश के मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पैसों लालच देते थे। वे किडनी के बदले डोनर को 4-5 लाख रुपए देते थे। वहीं जिसे किडनी दिया जाता था, उससे 25-30 लाख रुपए लिए जाते थे। दिल्ली के बड़े अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट का पूरा खेल चलता था। सबसे पहले दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए थे। इसके आधार पर दावा किया जाता था कि कि डॉनर और रिसीवर (दोनों बांग्लादेशी) के बीच संबंध है। क्योंकि भारतीय कानून के अनुसार डॉनर्स और रिसीवर के बीच संबंध होना जरूरी है। पुलिस ने ये फर्जी दस्तावेज भी जब्त किए हैं।

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