अमेरिका के तिब्बत को लेकर बनाए गए नए विधेयक पर चीन ने चेतावनी जारी की है और कहा है कि अगर राष्ट्रपति बाइडन ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर किए तो चीन सख्त कदम उठाएगा। अब इसे लेकर व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति वही फैसला करेंगे, जो अमेरिकी लोगों के हित में होगा। अमेरिकी संसद ने इसी महीने 'रिजोल्व तिब्बत एक्ट' नामक प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव के तहत तिब्बत विवाद का शांतिपूर्ण समाधान करने की मांग की गई है।

क्या है अमेरिका के प्रस्ताव में 
मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन पिएरे से जब चीन की चेतावनी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रपति वही करेंगे, जो उन्हें लगता है कि अमेरिकी लोगों के हित में है। अभी मैं आपको यही बता सकती हूं।' रिजोल्व तिब्बत एक्ट एक द्विदलीय विधेयक है, जो चीन की सरकार और दलाई लामा के बीच शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत का समर्थन करता है, ताकि दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद का शांतिपूर्ण हल निकाला जा सके। साथ ही यह विधेयक अमेरिका के विदेश विभाग को सशक्त बनाता है कि वह चीन की सरकार के तिब्बत को लेकर भ्रामक दावों का जवाब दे सके। यह विधेयक चीन के उस दावे को भी खारिज करता है, जिसमें चीन का कहना है कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का हिस्सा रहा है। अमेरिकी प्रस्ताव चीन की सरकार और दलाई लामा के प्रतिनिधियों और तिब्बत के लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों के बीच बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत का समर्थन करता है। प्रस्ताव के मुताबिक अमेरिकी विदेश विभाग अब दुनिया के अन्य देशों की सरकारों के साथ मिलकर तिब्बत मुद्दे के समाधान की दिशा में काम करेगा।

चीन ने दी धमकी
चीन द्वारा इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है और चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा है कि वह इस विधेयक पर हस्ताक्षर न करें। चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता लिन जियान ने मंगलवार को कहा कि 'कोई भी ताकत जो शिजांग को अस्थिर करने या फिर चीन के दबाने की कोशिश करेगी, वह सफल नहीं होगी। अमेरिका को विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए। चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और अपने हितों के लिए सख्त कदम उठाएगा।' चीन तिब्बत को शिजांग कहकर संबोधित करता है। चीन ने इस साल अप्रैल में कहा था कि वह सिर्फ दलाई लामा के प्रतिनिधियों से बात करेगा न कि निर्वासन में चल रही तिब्बत सरकार से। चीन ने दलाई लामा की तिब्बत को स्वायत्ता देने की मांग भी खारिज कर दी है। चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद साल 1959 में 14वें दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत आ गए थे। उसके बाद से ही दोनों पक्षों में संबंध तनावपूर्ण हैं। 

बाइडन ने पांच लाख अप्रवासियों को कानूनी दर्जा देने की पेशकश की
राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी नागरिकों से विवाहित और कम से कम 10 वर्षों से संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले अप्रवासियों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रदान करने की पेशकश की है, व्हाइट हाउस का अनुमान है कि इस कदम से 5,00,000 से अधिक लोगों को लाभ होने की संभावना है। मंगलवार को व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, बाइडन ने डिफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (डीएसीए) लाभार्थियों के लिए उच्च-कुशल रोजगार वीजा तक पहुँचने की प्रक्रिया को आसान बनाने की योजना की भी घोषणा की। इससे नियोक्ता अपने महत्वपूर्ण कर्मचारियों को बनाए रख सकेंगे। बाइडन ने इस दौरान कहा कि 'यह सही है। मैं चाहता हूं कि जो लोग अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़े हैं, वे अपने कौशल और ज्ञान का उपयोग अमेरिका में काम करने के लिए करें। मैं दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहता हूं, जिसमें दुनिया का सबसे अच्छा कार्यबल हो। हमने पहले ही 15 मिलियन नई नौकरियां पैदा की हैं, जो एक रिकॉर्ड है।' 

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