प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से इटली में मुलाकात की।

इस दौरान पीएम ने कहा कि भारत, रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने साधनों के भीतर हरसंभव प्रयास करना जारी रखेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि शांति का रास्ता ‘‘बातचीत और कूटनीति’’ से होकर गुजरता है। मोदी ने इटली के अपुलिया क्षेत्र में जी7 शिखर सम्मेलन से इतर जेलेंस्की से मुलाकात की।

प्रधानमंत्री ने जेलेंस्की से कहा कि भारत ‘‘मानव-केंद्रित’’ दृष्टिकोण में विश्वास करता है।

दोनों नेताओं ने यूक्रेन संकट एवं स्विट्जरलैंड की मेजबानी में आयोजित किये जा रहे शांति शिखर सम्मेलन के संबंध में विचारों का आदान-प्रदान किया। मोदी ने जेलेंस्की के साथ बैठक को ‘‘बहुत उपयोगी’’ बताया और कहा कि भारत, यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को ‘‘और मजबूत’’ करने के लिए उत्सुक है।

भारत भेजेगा “उच्च स्तरीय” प्रतिनिधिमंडल 

वहीं पीएम मोदी के मुलाकात के बाद यूक्रेन राष्ट्रपति ने बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि भारत इस सप्ताहांत यूक्रेन पर स्विट्जरलैंड में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में एक “उच्च स्तरीय” प्रतिनिधिमंडल भेजेगा। यूक्रेन को उम्मीद है कि इस समिट में दुनियाभर के कम से कम 100 देश जुटेंगे।

जिनमें भारत भी शामिल होगा। बैठक के बाद टेलीग्राम ऐप पर जारी एक बयान में जेलेंस्की ने कहा, “शिखर सम्मेलन में उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद।”

इससे पहले मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘(यूक्रेन के) राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ बहुत उपयोगी बैठक हुई। भारत, यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए उत्सुक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘(रूस के साथ) जारी संघर्ष के बारे में, (मैंने) यह दोहराया कि भारत मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में विश्वास करता है और यह मानता है कि शांति का मार्ग बातचीत और कूटनीति से होकर गुजरता है।’’

क्या है यूक्रेन को लेकर होने वाला शांति शिखर सम्मेलन और क्यों हैं दुनिया की निगाहें?

यूक्रेन में शांति की दिशा में कदम उठाने के प्रयासों के तहत स्विट्जरलैंड इस सप्ताह के अंत में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा जिसमें कई वैश्विक नेता शामिल होंगे।

हालांकि यूक्रेन पर हमलों की शुरुआत करने वाला रूस इस सम्मेलन में भाग नहीं लेगा। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की सरकार नहीं चाहती थी कि रूस इसमें शामिल हो और रूस की आपत्तियों से अवगत स्विट्जरलैंड ने भी उसे आमंत्रित नहीं किया।

स्विट्जरलैंड का कहना है कि रूस को किसी न किसी बिंदु पर शामिल होना होगा और आशा है कि वह एक दिन इस प्रक्रिया में शामिल होगा। यूक्रेन वासी भी उस संभावना पर विचार कर रहे हैं।

साल 2022 के अंत में जेलेंस्की द्वारा प्रस्तुत 10-सूत्रीय शांति फॉर्मूले के तत्वों पर आधारित सम्मेलन में बड़े परिणाम निकलने की संभावना नहीं है और इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट करने तथा अपने शत्रु के खिलाफ ताकत दिखाने के लिए कीव की ओर से एक बड़े प्रतीकात्मक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

भारत शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन 

वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और यूक्रेन की स्थिति एवं स्विट्जरलैंड में आयोजित होने वाले शांति सम्मेलन को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया।

मंत्रालय के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत संवाद और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए अपने साधनों के भीतर सब कुछ करना जारी रखेगा।’’

इसने कहा कि मोदी ने तीसरे कार्यकल के लिए पदभार ग्रहण करने पर राष्ट्रपति जेलेंस्की की हार्दिक शुभकामनाओं के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘भारत-यूक्रेन साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इटली के अपुलिया में 50वें जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और यूक्रेन की स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा।’’

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश सचिव विनय क्वात्रा वार्ता के दौरान मोदी के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। ऐसी जानकारी है कि जेलेंस्की ने मोदी को (रूस के साथ यूक्रेन के) संघर्ष के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी।

मोदी ने पिछले साल मई में हिरोशिमा में पिछले जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान भी जेलेंस्की से मुलाकात की थी। भारत का कहना है कि यूक्रेन में संघर्ष को संवाद और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। मोदी और जेलेंस्की के बीच यह मुलाकात स्विस शांति शिखर सम्मेलन से पहले हुई।

भारत ने बुधवार को कहा था कि वह यूक्रेन संघर्ष को लेकर आगामी शांति शिखर सम्मेलन में ‘‘उचित स्तर’’ पर भाग लेगा। प्रस्तावित शांति शिखर सम्मेलन 15 और 16 जून को ल्यूसर्न के बुर्गेनस्टॉक में होगा।

स्विट्जरलैंड ने मोदी को भी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि, ऐसी संभावना है कि शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व एक वरिष्ठ राजनयिक करेंगे।

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