गाजा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्धविराम प्रस्ताव मंजूर होने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि दुनिया इस योजना के समर्थन में है। उन्होंने दोहराया कि हमास पर इसे स्वीकारने का दबाव है। इस्राइल दौरे पर ब्लिंकेन ने कहा, पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी प्रस्ताव पर अपनी प्रतिबद्धता जताई है। उन पर गाजा में युद्ध के बाद की योजना लागू करने का दबाव है। हमास द्वारा 7 अक्तूबर के हमले के बाद से आठवीं बार इस्राइल यात्रा पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, संयुक्त राष्ट्र में हमास का एक वोट छोड़कर सभी का वोट अमेरिकी प्रस्ताव के पक्ष में गिरा है। वह जॉर्डन के साथ-साथ कतर के दौरे पर भी हैं, जिसने मिस्र के साथ मिलकर हमास के साथ प्रमुख मध्यस्थ के रूप में काम किया है। गत माह राष्ट्रपति बाइडन द्वारा घोषित प्रस्ताव में युद्धविराम के लिए तीन चरण की योजना का आह्वान है। यह प्रस्ताव गाजा में तुरंत संघर्षविराम, सभी बंधकों की रिहाई और पूरे गाजा में मानवीय सहायता वितरण में वृद्धि का सूत्रधार बनेगा। ब्लिंकेन ने काहिरा में मिस्र के राष्ट्रपति आब्देल फतेह अल-सिसी से चर्चा के बाद नेतन्याहू व इस्राइली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट से भी मुलाकात की।  

हमास को यह समझौता स्वीकारना होगा : अमेरिका
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने गाजा में इस्राइल-हमास के बीच आठ माह से जारी युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से सोमवार को अपने पहले प्रस्ताव को मंजूरी दी। अमेरिका ने कहा, इस्राइल ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। अब सबकी निगाहें चरमपंथी फलस्तीनी समूह हमास पर हैं, वह तीन चरण वाली इस योजना के प्रस्ताव को स्वीकार करने पर सकारात्मक रूप से विचार करने की बात कह चुका है। अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि मतदान के बाद परिषद ने हमास को स्पष्ट संदेश दिया है कि उसे संघर्ष विराम समझौते को स्वीकार करना ही होगा। 

फलस्तीन की संप्रभुता अहम : हमास
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अमेरिका समर्थित संघर्ष विराम प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद हमास ने कहा कि वह प्रस्ताव का स्वागत करता है और इसे लागू करने के लिए इस्राइल के साथ सीधी बातचीत न कर मध्यस्थों के साथ कार्य करने को तैयार है। हमास की ओर से जारी यह बयान अब तक दिए गए सबसे कड़े बयानों में से एक था। हमास ने जोर दिया कि चरमपंथी समूह इस्राइल के कब्जे को समाप्त करने के लिए वह ‘अपना संघर्ष’ जारी रखेगा और ‘फलस्तीन को पूर्णतया संप्रभु देश बनाने के लिए काम करता रहेगा’। उसने औपचारिक रूप से प्रस्ताव पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन उस पर अमेरिकी दबाव जारी है।

By

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *