रायपुर। एनसीपी के कोषाध्यक्ष रामअवतार जग्गी हत्याकांड में तीन और अभियुक्त गुरुवार को जिला अदालत में सरेंडर कर रहे हैं। ये अभियुक्त संजय सिंह कुशवाहा, नरसिंह प्रसाद शर्मा, अनिल उर्फ प्रमोद कचौरी सरेंडर के लिए अदालत पहुंचे हैं। जग्गी हत्याकांड में हाईकोर्ट ने 31 अभियुक्तों की सजा को बरकरार रखा है। इनमें से 10 को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी।

जोगी शासनकाल में हुआ था जग्गी हत्याकांड

रामवतार जग्गी हत्याकांड 2003 में अजीत जोगी के शासनकाल में हुआ था। अमित जोगी के उनके कट्टर समर्थक स्वामी भक्ति में रामवतार जग्गी हत्याकांड के स्वरूप में आया था। जिसका एफआईआर स्वर्गीय विद्याचरण शुक्ल के दबाव में मौदहापारा थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें 32 आरोपियों के नाम हत्याकांड में सामने आए थे। सभी आरोपियों को 7 -8 साल के उपरांत हाई कोर्ट से ज़मानत अपील के द्वारा मिली थी जो विगत सप्ताह हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फ़ैसले को बरकरार रखते हुए सभी आरोपियों की जमानत रद्द कर दी और सभी आरोपियों को एक हफ्ते का समय सजा हेतु सरेंडर करने का दिया था। जिसमें महापौर के सगे बड़े भाई याहया ढेबर सहित 22 आरोपियों को अपनी सजा पूरी करने के लिए वापस जेल जाना था। लेकिन कोर्ट में दो आरोपी अभय गोयल और आरसी त्रिवेदी द्वारा सरेंडर का समय बढ़ाने का आवेदन दिया था।

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