बिलासपुर

विधायक अमर अग्रवाल ने कहा कि डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी शिक्षाविद विचारक थे व अखंड भारत के रूप में पुनः भारत को देखना चाहते थे। छह जुलाई 1901 को उनका जन्म कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ। उनके पिता का नाम सर आशुतोष मुखर्जी व मां का नाम योगमाया थीं। वे शुरू से ही होनहार थे। सबसे कम उम्र में कुलपति बने उस समय 33 वर्ष की आयु थी। डा मुखर्जी 1929 में राजनीति में पदार्पण हुआ।

1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय क्षेत्र से बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए। बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की और कश्मीर को लेकर नारा दिया दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेगा।

जिसे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने पूरा किया। कश्मीर से धारा 370 हटाई गई। उनका देश के लिए दिए योगदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता। हम सबको उनके बताए रास्तों व विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। उनके प्रति यही हमारी सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि 1941-42 में बंगाल प्रदेश में वित्त मंत्री रहे। 1944 में हिंदू महासभा के अध्यक्ष बनाए गए।

1946 में पश्चिम बंगाल को पाकिस्तान में मिलने से बचाया। 1947 में आंतरिक सरकार के केन्द्रीय मंत्री मंडल में शामिल हुए। छह अप्रैल 1950 को मंत्रिमंडल से त्याग पत्र दे दिया। उनका सारा जीवन देश के लिए समर्पित था। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी ने कहा कि डा मुखर्जी भारत की अखंडता और कश्मीर के समर्थक थे।

अनुच्छेद 370 के प्रविधानों को हटाने के लिए भारतीय जनसंघ में हिंदू महासभा राम राज्य परिषद के साथ सत्याग्रह शुरू किया। भाजपा जिलाध्यक्ष रामदेव कुमावत ने कहा कि डा मुखर्जी के जीवन को देखे तो देश के लिए समर्पित रहा है।

डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर उनकी प्रतिमा एवं छायाचित्र पर भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर पुष्पाजंलि अर्पित की। जनसंघ के संस्थापक डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की स्मृति दिवस पर भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने डा. मुखर्जी चौक पुराना बस स्टैंड में स्थापित प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित की।

 

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