दिल्ली में कथित शराब घोटाले में सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर जर्मनी के बाद अब अमेरिका ने भी कड़ा ऐतराज जताया है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री और प्रमुख विपक्षी नेता अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उससे जुड़ी रिपोर्ट्स की लगातार निगरानी कर रहे हैं।

अमेरिका ने यह भी कहा कि वह केजरीवाल के मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद कर रहे हैं।

इससे पहले जर्मनी ने भी केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर विरोध दर्ज किया था। जिस पर भारत ने जर्मन राजदूत को तलब करते हुए इसे आंतरिक मामला बताया था। अब अमेरिका का इस पर बयान आया है।  

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी देश ही नहीं विदेश में भी सुर्खियां बटोर रही है। शराब घोटाला मामले में ईडी ने उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था।

उसी दिन केजरीवाल की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में गिरफ्तारी से राहत के लिए अपील दायर की गई थी, जो अदालत द्वारा खारिज कर दी गई।

फिर रात को ईडी की टीम केजरीवाल के घर पहुंचती है और करीब दो घंटे की पूछताछ और घर की तलाशी के बाद उन्हें गिरफ्तार कर अपने साथ ले जाती है।

केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर विपक्षी दलों ने भी कड़ा ऐतराज जताया था। कांग्रेस पार्टी समेत इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों ने इसे चुनाव से पहले साजिश करार दिया था।

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अब संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपना बयान दिया है। विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने इस सप्ताह रॉयटर्स को बताया कि अमेरिकी सरकार अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की रिपोर्टों की लगातार निगरानी कर रही है और अपने भारतीय समकक्ष से जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता के लिए “निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया” सुनिश्चित करने की उम्मीद करती है।

अमेरिका की यह प्रतिक्रिया जर्मनी के उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है। जब जर्मनी ने कहा था कि भारत में आरोपों का सामना कर रहे आम आदमी पार्टी के नेता केजरीवाल किसी भी अन्य भारतीय नागरिक की तरह निष्पक्ष और निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं।

जर्मन सरकार के एक प्रवक्ता ने बीते शुक्रवार को कहा था, “हम मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानकों को इस मामले में भी लागू किया जाएगा।”

भारत का ऐतराज
जर्मनी की केजरीवाल की गिरफ्तारी पर की गई टिप्पणी के जवाब में भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। जर्मन दूत को तलब करते हुए विदेश मंत्रालय ने इसे “आंतरिक मामलों में ज़बरदस्त हस्तक्षेप” करार दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा था, “हम ऐसी टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करने के रूप में देखते हैं।” 

जर्मनी के प्रति भारत के विरोध के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी विदेश विभाग ने रॉयटर्स से कहा, “भारत सरकार के साथ उनकी चर्चा के बारे अधिक जानकारी के लिए आपको जर्मन विदेश मंत्रालय से पूछना चाहिए।” हालांकि अमेरिका की तरफ से की गई टिप्पणी को लेकर भारत सरकार ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

केजरीवाल की सात दिन ईडी हिरासत, समर्थकों कर रहे प्रदर्शन 
प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले हफ्ते ही केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। 21 मार्च की रात को गिरफ्तारी के बाद 22 को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया और अदालत के आदेश के बाद केजरीवाल आगामी गुरुवार तक ईडी की हिरासत में ही रहेंगे।

केजरीवाल को दिल्ली में कथित शराब नीति घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया है। इस प्रकरण पर ईडी की टीम पहले दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को भी अरेस्ट कर चुकी है।

आम आदमी पार्टी ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी को भाजपा की साजिश करार दिया है। उधर, मामले में ईडी कह चुकी है कि केजरीवाल को पूछताछ के लिए 9 बार का समन भेजा जा चुका था लेकिन, वे उपस्थित नहीं हुए। 10वें समन के साथ ईडी उन्हें गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। 

उधर, केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बाद भी सीएम पद नहीं त्यागा है। उनकी गिरफ्तारी से दिल्ली में उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है।

आम आदमी पार्टी समर्थकों के अलावा प्रमुख विपक्षी दलों, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल और तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और कांग्रेस भी प्रदर्शन कर रही है। 

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