पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बन रहे ग्वादर बंदरगाह पर बुधवार को हमला हो गया था।

इस हमले में पाकिस्तानी सेना के दो जवान मारे गए तो वहीं 8 हमलावर भी जवाबी कार्रवाई में ढेर हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड ने ली है।

इस ब्रिगेड के गठन का भी रोचक इतिहास है। इसे 2011 में बलूच लिबरेशन आर्मी ने गठित किया था।

इसका गठन पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के एक गार्ड के नाम पर किया गया था, जो उन पर हमले की कोशिश में मारा गया था। पाकिस्तानी जानकारों के अनुसार इस संगठन की अफगानिस्तान में भी मौजूदगी है।

यही नहीं पाकिस्तान का आरोप है कि इस संगठन ने तो पाकिस्तान और ईरान की सीमा पर भी अपने ठिकाने बना रखे हैं। इन लोगों को ईरान के सीमांत बलूच इलाकों में भी एंट्री मिलती रही है। इन इलाकों में भी बलूच संस्कृति का असर है और बड़ी संख्या में बलूच बसे हैं।

दरअसल मजीद ब्रिगेड को बलूच लिबरेशन आर्मी का आत्मघाती दस्ता माना जाता है। इसकी ओर से खासतौर पर पाकिस्तान में उन ठिकानों पर हमले किए जाते रहे हैं, जिनके निर्माण में चीन शामिल रहा है।

इससे पहले अप्रैल 2022 में इसी संगठन ने कराची यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस इंस्टिट्यूट में अटैक किया था। यह भी एक आत्मघाती हमला ही था।

इसी गुरिल्ला संगठन ने 2022 में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में कई हमले किए थे। इन हमलों में बड़ी संख्या में लोगों को मार डाला था। 2022 में ही मजीद ब्रिगेड ने नौशकी और पंजगुर जिलों में हमले किए थे।

इस दौरान पाक सुरक्षा बलों ने हथियार उठाए और 20 से ज्यादा दहशतगर्दों को मार डाला गया। इसके अलावा पाक सुरक्षा बलों के 9 जवान भी मारे गए थे।

बता दें कि बलूचिस्तान में एक बड़ी आबादी का मानना है कि उसके संसाधनों पर पाकिस्तान अवैध कब्जे जमा रहा है और उन्हें ही इसका फायदा नहीं मिल पाता। चीन के नेतृत्व में बन रहा चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर भी यहीं से निकलता है। ]

इसी कॉरिडोर पर ग्वादर पोर्ट भी पड़ता है। इस पर पहले भी हमले की कोशिशें हुई हैं। बता दें कि इसी साल जनवरी में इस संगठन ने बलूचिस्तान के माच कस्बे में रॉकेट और अन्य हथियारों से हमले किए थे।

इस दौरान 4 सुरक्षाकर्मियों और 2 नागरिकों की मौत हो गई थी। बता दें कि बीते कुछ सालों में पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में तेजी से इजाफा हुआ है। इन हमलों में तालिबान, बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे संगठनों का हाथ रहा है।

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