पालतू जानवरों का DNA टेस्ट करने वाली कंपनी ने एक इंसान की पहचान कुत्ते के तौर पर की है, जिसे लेकर उसकी काफी आलोचना हो रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, यह कंपनी टोरंटो में स्थित है। इसने बताया कि जिस सैंपल का टेस्ट किया गया उसमें 40% अलास्का मालाम्यूट, 35% शार-पेई और 25% लैब्राडोर के अंश मिले।

WBZ टीवी न्यूज में क्रिस्टीना हैगर नाम की एक रिपोर्ट हैं। उन्होंने अपना डीएनए सैंपल अलग-अलग पेट टेस्टिंग फैसिलिटीज को भेजा था। इनमें से एक डीएनए माई डॉग नाम की कंपनी ने हैगर की पहचान कुत्ते के तौर पर कर दी।

महिला ने मेलबोर्न, फ्लोरिडा और वाशिंगटन स्थित 3 अन्य कंपनियों को अपने गाल का स्वाब सैंपल भेजा था। इनमें से 2 कंपनियां नस्ल आईडी विश्लेषण करने के लिए जरूरी डेटा देने में विफल रहीं।

उनका कहना था कि पर्याप्त डीएनए की कमी के कारण विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं दे सकती हैं। हालांकि, एक कंपनी ने रिपोर्ट दी।

ब्रॉड इंस्टीट्यूट और यूमैस चान मेडिकल स्कूल में आनुवंशिकीविद एलिनोर कार्लसन ने इसे लेकर कहा, ‘मुझे व्यक्तिगत तौर पर इस बात की चिंता है कि उपभोक्ता के लिहाज से आप बहुत अनजान हैं। जब कभी आप उन कंपनियों के पास जाते हैं तो पता नहीं होता कि आपको क्या रिजल्ट मिलने वाला है। इसे लेकर कानून भी काफी हल्के हैं।’

गलत रिपोर्ट मिलने की आई थी शिकायत
इससे पहले न्यू हैम्पशायर शहर के एक शख्स के साथ ऐसा ही हुआ था। उन्होंने बताया, ‘मेरे पास एक पालतू जानवर है। मैंने स्वाब सैंपल डीएनए माई डॉग को भेजा था।

इसकी रिपोर्ट में इसे 40% बॉर्डर कोली, 32% केन कोरो और 28% बुलडॉग बताया गया।’ इस तरह की शिकायत मिलने बाद ही डब्लूबीजेड न्यूज की हैगर ने जांच शुरू की। इसके लिए उन्होंने अपने कुत्ते के बजाय अपना ही सैंपल कंपनी को भेज दिया था।

इस तरह कंपनी ने जो रिपोर्ट सामने रखी, उस पर हंगामा मच गया है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर खूब कमेंट कर रहे हैं और उनका कहना है कि आखिर इस तरह की कंपनियों पर कैसे भरोसा किया जा सकता है।

इस पर सरकार को ऐक्शन लेना चाहिए। यह आम लोगों के साथ धोखा है। 

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