सिर्फ एशियाई देश ही नहीं बल्कि यूरोप भी चरमपंथ के नासूर को कई दिनों से झेल रहा है। वहां चरमपंथी पुलिस प्रशासन और लोगों की सुरक्षा में एक बड़ा रोड़ा हैं।

अब ऋषि सुनक की सरकार ने बड़ा ऐलान करते हुए चरमपंथ पर नकेल कसने का इरादा किया है। ब्रिटेन की सरकार ने हाल ही में चरमपंथ को लेकर नई परिभाषा गढ़ी है।

ब्रिटेन की सरकार द्वारा उठाया गया यह नया कदम दक्षिणपंथी और इस्लामी चरमपंथियों से अपने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना है। 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में इजराइल में हमास के आतंकवादी हमलों के बाद से बढ़े खतरों के मद्देनजर चरमपंथ की एक नई और अधिक स्पष्ट परिभाषा जारी की। इसका मकसद दक्षिणपंथी और इस्लामी चरमपंथियों के खिलाफ उदार लोकतांत्रिक सिद्धांतों का संरक्षण करना है।

ब्रिटेन में चरमपंथ को अब हिंसा, घृणा या असहिष्णुता पर आधारित एक विचारधारा के प्रचार या इसे बढ़ावा देने के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसका उद्देश्य दूसरों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता को नकारना या ब्रिटेन की उदार संसदीय लोकतंत्र और लोकतांत्रिक अधिकारों की प्रणाली को कमजोर करना, पलटना या प्रतिस्थापित करना हो।

ब्रिटेन द्वारा जारी की गई कंट्टरपंथ की यह परिभाषा कुछ हद तक भारत के गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी यूएपीए कानून के जैसी ही।

ब्रिटेन के समुदाय संबंधी मामलों के मंत्री माइकल गोव ने कहा कि ब्रिटेन को एक बहु-राष्ट्रीय, बहु-जातीय, बहु-आस्था वाले लोकतंत्र की सफलता की कहानी के रूप में सुरक्षित रखने के लिए परिभाषा को अद्यतन करने की आवश्यकता थी।

गोव ने कहा, “लेकिन, हमारे लोकतंत्र और सहिष्णुता के हमारे मूल्यों को चरमपंथ से खतरा है। हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए, हमारे बीच जो समान है उसे सुदृढ़ करना और उग्रवाद से उत्पन्न खतरों की पहचान करने में स्पष्टता होना, दोनों ही महत्वपूर्ण है।”

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