रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को दो साल बीत चुके हैं। हालांकि इस युद्ध का कोई समाधान निकलता नहीं नजर आ रहा है।

इसी बीच पैरिस में फ्रांस में 20 यूरोपीय नेताओं का जमावड़ा हुआ जिसमें राष्ट्र्पति इमैनुएल मैक्रों ने स्पष्ट कह दिया कि वह यूक्रेन में अपने सैनिकों की तैनाती से इनकार नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि भविष्य में यूक्रेन को बचाने के लिए अपने सैनिकों को उतारना जरूरी हो गया है। 

मैक्रों ने कहा कि अब तक यूक्रेन में सैनिकों को उतारने पर कोई सहमति नहीं बनी है लेकिन रूस की आक्रामकता को देखते हुए ऐसा कदम उठाना भी पड़ सकता है।

इस बैठक में यूक्रेन के इलाकों में रूसी कब्जे को लेकर उन्होंने चिंता जताई और कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो रूस यूक्रेन पर पूरी तरह हावी हो जाएगा। इसके बाद कई अन्य देशों के लिए भी चुनौती का माहौल बन सकता है। 

उन्होंने कहा, रूस के रुख में बड़ा बदलाव है। वह यूक्रेन के ज्यादा से ज्यादा प्रांतों पर कब्जा करना चाहता है। इसके अलावा उसकी नजरें केवल यूक्रेन पर ही नहीं बल्कि दूसरे भी कई देशों पर है। इसलिए रूस दुनिया में एक बड़े खतरे को न्यौता दे रहा है।

इस बैठक में जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज, यूके के विदेश सचिव लॉर्ड कैमरन, पोलिश प्रेसिडेंट. डच प्राइम मिनिस्टर शामिल थे। इसके अलावा अमेरिका और कनाडा के प्रतिनिधियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया था। 

फिलहाल इस बैठक में पांच ऐसे क्षेत्रों का निर्धारण किया गया है जहां तत्काल ऐक्शन लेने की जरूरत है। इसमें साइबर डिफेंस, कोलैबोरेटिव प्रोडक्शन ऑफ मिलिट्री हार्डवेयर, यूक्रेन की सैन्य सहायता, सीमाई इलाकों की रक्षा शामिल हैं। मैक्रों ने अमेरिका को सुनाते हुए कहा कि वे अपने भविष्य के लिए किसी देश के चुनाव का इंतजार नहीं कर सकते। अपने हित में तत्काल फैसला लेना होगा। 

मैक्रों ने कहा कि यूरोप को यूक्रेन के लिए फंडिंग और गोला-बारूद की सप्लाई बढ़ा देनी चाहिए।

रूस की रक्षात्मक ताकत को बढ़ाने की जरूरत है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी रूस और यूक्रेन के युद्ध को रोकने का प्रयास कर चुकी है लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली। ऐसे में भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की व्यवस्था में बदलाव की मांग दोहराई है। 

By

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *