पाकिस्तान में प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच चुनाव बाद का समझौता हो गया है जिसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज़ शरीफ अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं।

इस कदम का मतलब है कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को संसद में अधिक सीट मिलने के बावजूद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सत्ता में नहीं आ पाएगी। देश में आठ फरवरी को हुए चुनाव में खंडित जनादेश आया था और चुनाव में धांधली के आरोप लगे थे। 

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने मंगलवार रात पार्टी प्रमुख और तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बजाय 72 वर्षीय शहबाज को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया।

74 वर्षीय नवाज़ शरीफ रिकॉर्ड चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की कोशिश में थे और ब्रिटेन में स्व-निर्वासन समाप्त कर पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान लौट आए थे।

इससे पहले, शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के आसिफ अली जरदारी, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के खालिद मकबूल सिद्दीकी के साथ मंगलवार रात पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) के शुजात हुसैन के आवास पर मुलाकात की और सरकार गठन पर सहमति जताई। 

शरीफ ने बैठक में उपस्थित अन्य नेताओं का आभार जताते हुए कहा, ”आज हम देश को यह बताने के लिए एकजुट हुए हैं कि हमने खंडित जनादेश स्वीकार कर लिया है। मैं जरदारी और बिलावल (भुट्टो) का आभारी हूं कि उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) का समर्थन करने का फैसला किया है।”

पीएमएल-एन की सूचना सचिव मरयम औरंगजेब ने कहा कि पार्टी प्रमुख नवाज शरीफ ने देश के प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी अध्यक्ष और अपने छोटे भाई शहबाज शरीफ (72) को नामित किया है।

उन्होंने बताया कि पीएमएल-एन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और नवाज़ शरीफ की राजनीतिक उत्तराधिकारी मानी जाने वाली मरयम नवाज को पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए नामित किया गया है। पार्टी की सूचना सचिव कहा, ”नवाज शरीफ ने उन राजनीतिक दलों का आभार जताया है जिन्होंने आगामी सरकार बनाने में पीएमएल-एन का समर्थन किया है और उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसे फैसलों से पाकिस्तान संकट से बाहर आ जाएगा।” 

इससे पहले, मंगलवार को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री बनने की अपनी दावेदारी वापस ले रहे हैं और उनकी पार्टी इस पद के लिए पीएमएल-एन के उम्मीदवार का समर्थन करेगी। अप्रैल 2022 में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद प्रधानमंत्री बने शहबाज ने कहा कि अन्य दलों ने पीएमएल-एन से हाथ मिला लिया है जिसके पास चुनाव के बाद संसद में ”तकरीबन दो तिहाई बहुमत” है।

उन्होंने यह भी कहा कि नयी सरकार देश को संकट से बाहर निकाल लाएगी। नवाज शरीफ द्वारा शहबाज को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किए जाने के कुछ ही घंटों बाद, उनकी बेटी मरयम नवाज ने बुधवार को इस धारणा को खारिज करने की कोशिश की कि उनके पिता ने सक्रिय राजनीति छोड़ दी है। मरयम नवाज़ ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”अगले पांच वर्षों में नवाज न केवल सक्रिय राजनीति में भाग लेंगे, बल्कि पंजाब और केंद्र में पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली सरकारों की देखरेख भी करेंगे।”

पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग के अनुसार, छह दलों -पीएमएल-एन, पीपीपी, एमक्यूएम-पी, पीएमएल-क्यू, आईपीपी (इस्तेकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी) और बलूचिस्तान आवामी पार्टी (बीएपी) द्वारा जीती गईं कुल सीट संख्या 152 है। इन सभी ने शहबाज शरीफ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने की अपनी योजना की घोषणा की है।

यह साफ तौर पर दिखता है कि ये दल 60 महिला और 10 अल्पसंख्यक सीट अतिरिक्त मिलने के बाद केंद्र में सरकार बनाने के लिए आवश्यक 169 के आंकड़े को आसानी से हासिल कर लेंगे। माना जाता है कि पीएमएल-एन को सेना का समर्थन हासिल है।

ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने कहा कि पीएमएल-एन के लिए सबसे अच्छा विकल्प ”अपनी हार को शीलनता से स्वीकार करना” और उनकी पार्टी के संस्थापक इमरान खान को ”देश को संकट से उबारने देना है।”

क्रिकेटर से नेता बने 71 वर्षीय खान इस समय जेल में हैं और भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के कारण उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। इससे पहले, शीर्ष पीपीपी नेता और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जरदारी ने शहबाज की मौजूदगी में कहा था कि गठबंधन सरकार बनाई जाएगी।

उन्होंने कहा, ”हमने गठबंधन सरकार बनाने और देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा कि नयी सरकार खान की पीटीआई समेत सभी के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश करेगी। प्रमुख दलों के एकजुट होने के साथ इस महीने के अंत तक नयी सरकार बनने की संभावना है। मतदान के बाद पहली बार अदालत में पत्रकारों से बात करते हुए खान ने कहा, “मैं चुरा गए मतों से सरकार बनाने के दुस्साहस के खिलाफ चेतावनी देता हूं।”

उन्होंने कहा, “इस तरह की दिनदहाड़े डकैती न सिर्फ नागरिकों का अपमान है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और भी नीचे की ओर चली जाएगी।” इस बीच, खान के नेतृत्व वाली पीटीआई ने इस्लामाबाद के साथ-साथ पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतों में अपनी सरकार बनाने के लिए दो दक्षिणपंथी धार्मिक दलों के मंच का उपयोग करने का फैसला किया। पार्टी के सूचना सचिव रऊफ हसन ने कहा, “पीटीआई ने केंद्र और पंजाब में सरकार बनाने के लिए मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) और खैबर-पख्तूनख्वा में जमाती-ए-इस्लामी (जेआई) के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया है।” 

माना जा रहा है कि दोनों दलों के साथ हाथ मिलाने से भी पीटीआई को संघीय सरकार या पंजाब में प्रांतीय सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं मिलेगा। दोनों दलों के साथ हाथ मिलाने से, पीटीआई नेशनल असेंबली में 70 आरक्षित सीट और चार प्रांतीय विधानसभाओं में 156 आरक्षित सीट में हिस्सेदारी का दावा कर पाएगी।

आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर राजनीतिक दलों को आरक्षित सीट आवंटित की जाती हैं। पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को पाकिस्तान निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव परिणामों की आधिकारिक अधिसूचना जारी किए जाने के तीन दिन के भीतर किसी राजनीतिक दल में शामिल होने की जरूरत है, लेकिन अधिसूचना अब तक जारी नहीं की गई है। वहीं, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने बुधवार को कहा कि चुनावों में “धांधली” हुई है। उन्होंने गठबंधन सरकार को समर्थन देने से इनकार किया। 

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