खालिस्तान आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश के मामले में अमेरिका को बड़ा झटका लगा है।

चेक रिपब्लिक ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण की कार्यवाही को सस्पेंड कर दिया है। अमेरिका ने निखिल गुप्ता पर पन्नू की हत्या की नाकाम कोशिश में शामिल होने का आरोप लगाया है।

निखिल गुप्ता फिलहाल चेक रिपब्लिक की जेल में बंद है और अमेरिकी कई महीनों से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए निखिल गुप्ता ने चेक रिपब्लिक के संवैधानिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

चेक न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेप्का ने बताया, “मैं इस जानकारी की पुष्टि करता हूं। जब तक संवैधानिक अदालत संवैधानिक शिकायत पर फैसला नहीं कर देती, तब तक प्रत्यर्पण की कार्यवाही सस्पेंड कर दी गई है।”

पिछले महीने चेक रिपब्लिक की राजधानी प्राग के हाईकोर्ट ने निखिल गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी थी। इसके बाद निखिल ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ संविधान न्यायालय का रुख किया था।

चेक संवैधानिक न्यायालय उस देश की न्यायिक प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय है। यानी चेक का संवैधानिक न्यायालय वहां का सुप्रीम कोर्ट है। खास बात ये है कि इस कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी नहीं की जा सकती है।

अमेरिका और चेक रिपब्लिक के बीच एक प्रत्यर्पण संधि है जिसके तहत अमेरिका निखिल गुप्ता को अपने देश ले जाना चाहता है।

अमेरिका का कहना है कि निखिल गुप्ता कथित तौर पर हत्या की साजिश रचने में एक भारतीय अधिकारी के इशारे पर काम कर रहा था।

अमेरिका के कहने पर, पिछले साल 30 जून को प्राग पहुंचने के तुरंत बाद चेक अधिकारियों ने निखिल को हिरासत में ले लिया था।

चेक मीडिया के मुताबिक, निखिल गुप्ता के वकील ने पिछले महीने कहा था कि वह संवैधानिक न्यायालय में अपील दायर करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह न्याय मंत्री से निखिल गुप्ता को अमेरिका में प्रत्यर्पित न करने के लिए भी कहेंगे।

निखिल गुप्ता ने चेक अधिकारियों पर गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया था। अब चेक का सुप्रीम कोर्ट इन आरोपों पर भी गौर करेगा।

अगर संवैधानिक न्यायालय भी यह फैसला देता है कि निखिल गुप्ता का प्रत्यर्पण किया जा सकता है तो अंतिम फैसला न्याय मंत्री का होगा। लेकिन अगर यह कोर्ट रोक लगा देता है तो निखिल का अमेरिका को प्रत्यर्पण संभव नहीं हो पाएगा।

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