प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि कांग्रेस जब-जब सत्ता में आई है, तब-तब महंगाई लाई है।

उन्होंने कहा कि देश में महंगाई को लेकर दो गाने सुपरहिट हुए।

एक ‘महंगाई मार गई’ और दूसरा ‘महंगाई डायन खाए जात है।’

ये दोनों गाने कांग्रेस की सरकारों में आए। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि यूक्रेन और गाजा में युद्ध और कोविड महामारी के बावजूद देश में महंगाई नियंत्रण में है और कभी डबल डिजिट में नहीं पहुंची। 

उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक को उच्च महंगाई दर के लिए जिम्मेदार ठहराया।

ऐसे में यह जानना लाजिमी है कि पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी के कार्यकाल में महंगाई दर कहां थी और नरेंद्र मोदी के शासनकाल में वह कहां है?

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक (World Bank) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन OECD के आंकड़ों के मुताबिक 1960 में भारत में महंगाई दर 1.78 फीसदी थी, जो 1962 में बढ़कर 3.63 फीसदी पर पहुंच गई थी।

पंडित नेहरू का कार्यकाल 1947 से 1964 तक रहा। इस बीच महंगाई दर ने 1.78 फीसदी से 13.36 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया। देश तब खाद्यान्न संकट से लेकर चीन से युद्ध लड़ने तक कई तरह के संकटों से घिरा हुआ था।

पंडित नेहरू का 1964 में निधन हो गया। उनके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने देश की कमान संभाली। हालांकि, उनका कार्यकाल दो साल ही रहा।

1965 और 1966 के बीच देश की महंगाई दर क्रमश: 9.47 फीसदी और 10.80 फीसदी रही। जनवरी 1966 में शास्त्री जी के असामयिक निधन के बाद इंदिरा गांधी ने देश की बागोडर संभाली। वह पहले 11 साल तक (1966 से 1977 तक) लगातार प्रधानमंत्री रहीं। 1970 में तो उन्होंने खुद वित्त मंत्रालय की कमान भी संभाली थी।

इंदिरा गांधी के शासनकाल में महंगाई के आंकड़ों ने भारी उतार-चढ़ाव देखा।  जब उन्होंने देश की सत्ता संभाली थी, तब महंगाई दर 10.80 फीसदी था।

अगले ही साल वह बढ़कर 13.06 फीसदी पर पहुंच गया था। ऐसा तब हुआ था, जब 1966 में बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्यों ने भयंकर अकाल और सुखाड़ का सामना किया था।

फसल खराब हो जाने की वजह से बड़े पैमाने पर भुखमरी का संकट सामने खड़ा हो गया था। इससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद भी लेनी पड़ी थी।

हालांकि, 1969 में देश में महंगाई दर माइनस के आंकड़े में पहुंच गई। तब -0.58 फीसदी महंगाई दर रिकॉर्ड की गई थी लेकिन जब इंदिरा ने पाकिस्तान के साथ दो-दो हाथ किए और बांग्लादेश को आजाद कराया तब देश की महंगाई दर दोगुनी हो गई। 1971 में 3.08 फीसदी की महंगाई दर 1972 तक आते-आते 6.44 फीसदी पर पहुंच गई।

देश की आर्थिक तरक्की के इतिहास में इंदिरा गांधी की आलोचना इसलिए भी की जाती है कि उनके ही कार्यकाल यानी 1974 में देश ने महंगाई का सर्वोच्च रिकॉर्ड स्तर देखा। तब महंगाई दर 28.60 फीसदी दर्ज की गई थी।

उससे एक साल पहले यह दर 16.94 फीसदी थी। उस वक्त देश भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा था। फसल उत्पादन कम था, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें काफी अधिक थीं।

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