नीट परीक्षा को लेकर लगातार राजनीतिक पार्टी भाजपा नीत एनडीए सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साध रही हैं। अब तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके ने शनिवार को नीट की पवित्रता खराब करने का आरोप लगाया, साथ ही करोड़ों की कमाई करने वाले कोचिंग सेंटरों का समर्थन करने का आरोप लगाया है।

5 मई को नीट यूजी परीक्षा आयोजित हुई। आयोजन वाले दिन से ही इसपर पेपर लीक के आरोप लगने लगे। वहीं, इस बार परीक्षा में 67 ऐसे छात्र हैं, जिन्होंने 720 में से 720 अंक लाकर पहला स्थान हासिल किया है। 67 बच्चों में से 6 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने एक ही सेंटर पर परीक्षा दी है, जो कि हरियाणा के झज्जर में है। 1,500 से अधिक बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। कहा गया कि छह केंद्रों पर परीक्षा में देरी के कारण हुई समय की बर्बादी की भरपाई के लिए ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ये मार्क्स वापस ले लिए गए और इन छात्रों के लिए पुनःपरीक्षा कराई जाएगी।

इस परीक्षा में कुछ बच्चों के नंबर 718 और 719 आए हैं, जो परीक्षा की मार्किंग स्कीम के लिहाज से गणितीय रूप से संभव नहीं हैं। छात्रों का आरोप है कि कई छात्रों के अंकों को मनमाने ढंग से घटाया या बढ़ाया गया है, जिसका असर उनकी रैंक पर हुआ है।वहीं एनटीए का कहना है कि जिन कोचिंग संस्थानों के छात्रों ने नीट यूजी 2024 परीक्षा में खराब प्रदर्शन किया है, वे ही आरोप लगाने में सबसे आगे हैं, क्योंकि परीक्षा अपेक्षाकृत आसान होने के बावजूद वे अपने छात्र समूहों के बीच अपनी छवि खो चुके हैं। एनटीए का कहना है कि अगर वास्तव में कोई समस्या थी, तो अन्य कोचिंग संस्थान चुप क्यों हैं?

इसके बाद तमिलनाडु की सत्तारुढ़ डीएमके ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी पर नीट की पवित्रता को खराब करने का आरोप लगाया। डीएमके ने एक बार फिर राष्ट्रीय परीक्षा को खत्म करने की मांग की और कहा कि इससे ही शिक्षा क्षेत्र की पवित्रता की रक्षा होगी। कुछ दिन पहले केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट को यह बताए जाने का जिक्र करते हुए कि 1,563 छात्रों के ग्रेस मार्क्स रद्द कर दिए जाएंगे, डीएमके के तमिल मुखपत्र 'मुरासोली' ने कहा कि अगर मामला सुप्रीम कोर्ट में नहीं जाता तो भाजपा सरकार ऐसा नहीं करती।

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