सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले या किसी नई वस्तु के लाए जाने पर सबसे पहले स्वास्तिक बनाया जाता है. आपने भी घर में बाइक, कार, फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन आदि घर लाने पर पूजा के दौरान स्वास्तिक का चिह्न बनाया होगा. यह परंपरा कई हजारों वर्ष पुरानी है और आदिकाल से चली आ रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसका क्या महत्व है और इस चिह्न को क्यों बनाया जाता है? यदि नहीं, तो चलिए जानते हैं 
क्यों बनाते हैं स्वास्तिक?
स्वास्तिक को हिन्दू धर्म में काफी पवित्र माना गया है. इसे शक्ति, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. यह हमारे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा शक्ति को बाहर कर सकारात्मक ऊर्जा लाता है. ऐसा कहा जाता है कि स्वास्तिक भगवान गणेश का स्वरूप है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य से पहले इस चिह्न को बनाया जाता है.

पुराणों के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा करने से उसमें किसी तरह की बाधा नहीं आती. ऐसा माना जाता है कि स्वास्तिक बनाने पर गणेश जी का वास होता है, जिससे वह कार्य या वस्तु लंबे समय तक चलती है.

स्वास्तिक की चार भुजाओं का महत्व
स्वास्तिक की चार भुजाएं होती हैं और हिंदू धर्म ग्रंथों में स्वास्तिक की चारों भुजाओं को ब्रह्माजी के चार मुख, चार हाथ और चार वेदों के रूप में निरूपित किया गया है. इसे चारों दिशाओं के रूप में भी देखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि किसी भी स्थान पर बनाने पर वहां पॉजिटिव एनर्जी का संचार ​होता है.

इन चीजों से बनाएं स्वास्तिक
स्वास्तिक चिह्न पूजा के दौरान विशेष स्थान या देवभूमि, विशेष वस्तु, घर के मुख्य द्वार या दीवारों पर बनाया जाता है. इसे बनाने के लिए हल्दी, कुमकुम, सिंदूर और घी सहित कई सारी चीजों का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा आप चंदन से स्वास्तिक बना सकते हैं. स्वास्तिक बनाने के लिए ये सभी चीजें शुभ फल देने वाली मानी गई हैं. वहीं दीवारों में ज्यादातर स्वास्तिक हल्दी से सिंदूर से बनाए जाते हैं.
 

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