लोकसभा चुनाव में यूपी से मिली घात भाजपा को बेचैन किए हुए हैं। केंद्र में मोदी-03 सरकार के गठन के बाद भाजपा के जिम्मेदार अब यूपी में पार्टी के ग्राफ गिरने के कारणों की पड़ताल करेंगे। बुधवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल ने वोट में आई गिरावट को लेकर चर्चा की है। तय किया गया है कि भाजपा के पक्ष में कम मतदान की जांच होगी और इसके लिए पार्टी के नेताओं की एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। दरअसल, यूपी के चुनाव परिणाम से भाजपा के स्थानीय से लेकर शीर्ष नेतृत्व में हड़कंप मचा हुआ। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार करीब नौ फीसदी कम वोट मिले हैं। अब इसी वोट का पता लगाने को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है कि आखिर यह वोट भाजपा से छिटककर कहां गया। इसका पता करने के लिए ही टास्क फोर्स का गठन करने का फैसला किया गया है। इसमें संगठन के पदाधिकारियों के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। इसके लिए 60 से अधिक सदस्यों का चयन भी हो चुका है। ये लोग सभी लोकसभा क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्रों में हार के कारणों का पता लगाएंगे। फोर्स के सदस्य गांव-गांव जाकर यह पता लगाएंगे कि भाजपा के कोर वोटर माने जाने वाले ओबीसी और दलितों में सेंध किस दल ने लगाया है। यह भी पता लगाया जाएगा कि गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों को भाजपा से बिदकाने में किन-किन लोगों का हाथ है। साथ ही भितरघात करने वाले पार्टी नेताओं का भी पता किया जाएगा। केंद्र में भले ही लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बन गई है लेकिन पार्टी के लिए सबसे मजबूत सियासी जमीन यूपी में खिसकने की टीस सभी नेताओं को हो रही है। इसलिए अब पार्टी ने नुकसान पहुंचाने वालों के साथ उन मतदाताओं के बारे में भी पता लगाने का फैसला किया गया है कि जो इस बार भाजपा के बजाए विपक्ष की तरफ खिसक गए हैं।

सीएम से भी हो चुकी है चर्चा

सूत्रों की मानें तो यूपी में भाजपा की हार को लेकर सरकार और संगठन के बीच प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है। सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रदेश संगठन के शीर्ष नेता मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं। इसके बाद ही हार के कारणों का पता लगाने के लिए विशेष दस्ता बनाने का फैसला लिया गया है।

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