लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में भाजपा की राजग की सरकार बन गई है। हालांकि, पिछली दो बार से उलट इस दफा भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है। अब विभिन्न राजनीतिक दलों की नजरें आगामी विधानसभा चुनावों पर हैं, जिनमें दिल्ली भी शामिल है। राष्ट्रीय राजधानी में अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए आम आदमी पार्टी (आप), भाजपा और कांग्रेस ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा की कोशिश है कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव में दिल्ली में पार्टी की शानदार जीत हुई है, उसी तरह इस बार विधानसभा चुनाव में भी उसका प्रदर्शन बेहतर रहे। इस बार के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीट पर लगातार तीसरी बार भाजपा की जीत हुई है। इस चुनाव में दिल्ली की सभी सीट पर भाजपा की जीत का औसत हालांकि कम रहा है। पिछले लोकसभा की तुलना में इस बार भाजपा मत फीसद करीब 6.4 फीसद कम रहा। भाजपा को पिछली बार 56 फीसद वोट मिले थे, जबकि इस बार 52 फीसद मिले हैं। कांग्रेस और आप इस बार मिलकर चुनाव लड़े थे। आप ने चार सीट पर और कांग्रेस तीन सीट पर उम्मीदवार उतारे थे।

बावजूद इसके दोनों के वोट औसत में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। आप के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तैयारी सुप्रीम कोर्ट से चुनाव प्रचार के लिए 21 दिन की जमानत की अवधि पूरी करके दो जून को वापस तिहाड़ जेल चले गए। उनकी गैर हाजिरी में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने चुनाव नतीजों की समीक्षा बैठक ली। उस बैठक के बाद आप के दिल्ली संयोजक और दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने घोषणा कर दी कि कांग्रेस से आप का गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए था। आप विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उसके बाद दिल्ली कांग्रेस के नए अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भी इसी बात को दोहराया। यानी दिल्ली का विधानसभा चुनाव तिकोना होना तय है। पिछले कई वर्षों से दिल्ली में लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम चुनावों का जनादेश अलग-अलग रहा है। लोकसभा चुनाव 2014 से लगातार भाजपा जीतती रही है, तो 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आप को जीत हासिल हुई है। नगर निगम का चुनाव लगातार तीन बार भाजपा ने जीता, मगर वर्ष 2022 में निगम पर आप ने कब्जा कर लिया। लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो दिल्ली विस की कुल 70 सीट में से 52 पर भाजपा को बढ़त है। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 65 विधानसभा सीट पर बढ़त थी, मगर विधानसभा चुनाव में उसे केवल आठ सीट ही मिल पाईं। दरअसल, भाजपा के लिए बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री केजरीवाल के मुकाबले दिल्ली में नेता तैयार करने की है। दूसरी चिंता इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को नई दिल्ली, दिल्ली छावनी, राजौरी गार्डन, तिलक नगर आदि विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त न मिलना है।

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