काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है. इस प्राचीन नगरी में कई घाट और उससे जुड़े शिवलिंग हैं, जिनका अपना पौराणिक महत्व है. ऐसा ही एक तीर्थ है दशाश्वमेध, जहां गंगा स्नान और फिर दशाश्वमेधेश्वर महादेव के दर्शन से पापों से मुक्ति मिल जाता है.धार्मिक कथाओं के अनुसार परमपिता ब्रह्ना ने काशी में इस शिवलिंग की स्थापना की थी.

गंगा तट पर स्थित शीतला माता मंदिर में यह शिवलिंग स्थापित है. धार्मिक कथाओं के अनुसार जो व्यक्ति इस शिवलिंग को हर दिन जल अर्पण करता है, उसे हर तरह के शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.

कट जाते हैं सारे पाप
दशाश्वमेध घाट के तीर्थ पुरोहित बाबू महाराज ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा तक दशाश्वमेध तीर्थ में स्नान की अपनी अलग महत्ता है. इस समय गंगा स्नान के बाद जो भी दशाश्वमेधेश्वर महादेव को जल चढ़ाता है, उसके सारे पाप कट जाते हैं.

ऐसे नाम पड़ा दशाश्वमेध तीर्थ
काशी महात्म्य के मुताबिक इसी दशाश्वमेध घाट पर ब्रह्ना जी ने राजा दिवोदास का दस अश्वमेघ यज्ञ कराया था.इसलिए इस दशाश्वमेध तीर्थ के नाम से जाना जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार अश्वमेघ यज्ञ से पहले यह स्थान रुद्रवास तीर्थ क्षेत्र के नाम से जाना जाता है.

इन पूजा-अनुष्ठान के लिए सर्वोत्तम
गंगा स्नान,पूजा,अनुष्ठान,तर्पण,श्राद्ध और पितृकर्म के लिए काशी का यह तीर्थ सबसे सर्वोत्तम है.यही वजह है कि देश के अलग अलग हिस्सों से लोग इन कामों के लिए यहां आते हैं. हर दिन इस तीर्थ पर हजारों लोग आते हैं.
 

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