मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा ‎कि उसने थोक सावधि जमा की सीमा दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये कर दी है। थोक सावधि जमा पर खुदरा सावधि जमा की तुलना में थोड़ा अधिक ब्याज मिलता है, क्योंकि बैंक अपनी नकदी प्रबंधन प्रक्रिया के तहत अलग-अलग दरें देता है। अब अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के पास दो करोड़ रुपये तक की एकल रुपया सावधि जमा, खुदरा सावधि जमा का हिस्सा होगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक नीति की घोषणा करते हुए शुक्रवार को कहा कि थोक जमा सीमा की समीक्षा के संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एसएफबी के लिए तीन करोड़ रुपये और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा के रूप में थोक जमा की परिभाषा को संशोधित करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा स्थानीय क्षेत्र बैंकों के लिए थोक जमा सीमा को एक करोड़ रुपये और उससे अधिक की एकल रुपया सावधि जमा के रूप में परिभाषित करने का भी प्रस्ताव है, जैसा कि आरआरबी (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) के मामले में लागू है। कारोबार को सुगम बनाने के लिए आरबीआई ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 के तहत वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात और आयात के लिए दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव भी किया है। दास ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बदलती स्थिति को देखते हुए तथा विदेशी मुद्रा विनियमन के प्रगतिशील उदारीकरण के अनुरूप वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात और आयात पर मौजूदा फेमा दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा ‎कि  इससे कारोबार की सरलता को बढ़ावा मिलेगा। अधिकृत डीलर बैंकों को परिचालन में अधिक जुझारू क्षमता मिलेगी। हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिए जल्द ही मसौदा दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

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