नई दिल्ली। बाइक और कारों के टायर बनाने वाली चेन्नई की एमआरएफ कंपनी का शेयर भारत का सबसे महंगा स्टॉक है। अभी कंपनी के एक शेयर की कीमत करीब एक लाख 25 हजार रुपए है। लेकिन यह टायर बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी नहीं है। देश की सबसे बडी टायर कंपनी का खिताब बालकृष्ण इंडस्ट्रीज के नाम है। यह ऑफ-हाइवे टायर बनाती है। यानी यह एग्रीकल्चर टायर (ट्रैक्टर्स), इंडस्ट्रियल टायर (क्रेन, ग्रेडर) और ओटीआर टायर बनाती है। दुनिया की टॉप 13 कंपनियों में भारत की सबसे ज्यादा चार कंपनियां शामिल हैं। इनमें बालकृष्ण इंडस्ट्रीज, मद्रास रबर फैक्ट्री, अपोलो टायर्स और सिएट हैं। इस सूची में चीन की कोई भी कंपनी शामिल नहीं है। अमेरिका और जापान की दो-दो कंपनियों को इस सूची में जगह मिली है।
दुनिया में टायर बनाने वाली कंपनियों की सूची में टॉप पर जापान की कंपनी ब्रिजस्टोन है। फ्रांस की कंपनी मिशेलिन इस सूची में दूसरे नंबर पर है। तीसरे नंबर पर जर्मन कंपनी कोंटिनेंटल है। भारत की कंपनी बालकृष्ण इंडस्ट्रीज चौथे और एमआरएफ 5वें नंबर पर है। इटली की कंपनी पिरेली 6वें नंबर पर है। अमेरिकी कंपनी गुडईयर 7वें, दक्षिण कोरिया की हैनकुक टायर 8वें, भारत की अपोलो टायर 9वें, जापान की टोयो टायर 10वें, फिनलैंड की नोकियन टायर्स 11वें, भारत की सिएट 12वें और टाइटन इंटरनेशनल 13वें नंबर पर हैं।
ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के चेयरमैन अंशुमन सिंघानिया ने हाल में कहा था कि भारत की टायर इंडस्ट्री साल 2030 तक पांच 5 अरब डॉलर से ज्यादा एक्सपोर्ट का लक्ष्य तय किया है। पिछले चार साल में देश से टायर के एक्सपोर्ट में काफी तेजी आई है। भारत से 170 से ज्यादा देशों को टायर का एक्सपोर्ट किया जाता है। यूरोप, अमेरिका, ब्राजील, यूएई और यूके जैसे ग्लोबल मार्केट्स ने भारतीय टायरों का लोहा माना है। कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2023 में भारत से 23,125 करोड़ के टायर एक्सपोर्ट किए गए थे। भारत के टायर एक्सपोर्ट में अमेरिका की 25 फीसदी हिस्सेदारी है।

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