प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 की राजनीतिक व्यस्तताओं के बाद आध्यात्मिक यात्रा पर तमिलनाडु के कन्याकुमारी में प्रवास किया। विवेकानंद मेमोरियल में 45 घंटे के ध्यान के बाद प्रधानमंत्री ने भारत के भावी विकास और देश की वास्तविक ताकत का उल्लेख करते हुए खास संदेश दिया है। पीएम मोदी ने कहा, हमें प्राचीन मूल्यों को आधुनिक स्वरूप में अपनाकर विरासतों को आधुनिक ढंग से दोबारा परिभाषित करना होगा। उन्होंने कहा, हमें पुरानी पड़ चुकी सोच और मान्यताओं का परिमार्जन करना होगा। समाज को पेशेवर निराशावादियों के दबाव से बाहर निकालने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नकारात्मकता से मुक्ति सफलता की सिद्धि तक पहुंचने की पहली जड़ी-बूटी है। सफलता सकारात्मकता की गोद में ही पलती है। इस संदेश के साथ उन्होंने देशवासियों से अगले 25 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करने का आह्वान भी किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, 'मेरे मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया…मेरा मन बाह्य जगत से पूरी तरह अलिप्त हो गया। इतने बड़े दायित्वों के बीच ऐसी साधना कठिन होती है, पर कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने इसे सहज बना दिया। मैं सांसद के तौर पर अपना चुनाव भी काशी के मतदाताओं के चरणों में छोड़कर यहां आया था। इस विरक्ति के बीच, शांति और नीरवता के बीच, मेरे मन में भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए, भारत के लक्ष्यों के लिए निरंतर विचार उमड़ रहे थे।'

पीएम मोदी ने कहा, कन्याकुमारी का यह स्थान हमेशा से मेरे मन के अत्यंत करीब रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी…यह हर देशवासी के अंतर्मन में रची-बसी हमारी साझी पहचान है। कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती है। हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में जाकर मिलती हैं और यहां उन समुद्रों का संगम होता है। और यहां एक और महान संगम दिखता है-भारत का वैचारिक संगम! यहां विवेकानंद शिला स्मारक के साथ ही संत तिरुवल्लूवर की विशाल प्रतिमा, गांधी मंडपम और कामराजर मणि मंडपम हैं। 

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