सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सख्ती अपनाने के बाद बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

उत्तराखंड के पिथोरागढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सोन पापड़ी के परीक्षण में फेल होने पर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एक सहायक प्रबंधक सहित तीन लोगों को छह महीने की जेल की सजा सुनाई है। तीनें पर जुर्माना भी लगाया है। 

17 अक्टूबर, 2019 को एक खाद्य सुरक्षा निरीक्षक ने पिथौरागढ़ के बेरीनाग के मुख्य बाजार में लीला धर पाठक की दुकान का दौरा किया था, जहां पतंजलि नवरत्न इलायची सोन पापड़ी के बारे में चिंताएं व्यक्त की गईं।

नमूने एकत्र किए गए और रामनगर कान्हा जी वितरक के साथ-साथ पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नोटिस जारी किए गए। 

इसके बाद उत्तराखंड के ही रुद्रपुर, उधम सिंह नगर में राज्य खाद्य एवं औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में फोरेंसिक जांच आयोजित किया गया था।

दिसंबर 2020 में राज्य खाद्य सुरक्षा विभाग को प्रयोगशाला से एक रिपोर्ट मिली जिसमें मिठाई की घटिया गुणवत्ता का संकेत दिया गया था।

इसके बाद व्यवसायी लीला धर पाठक, वितरक अजय जोशी और पतंजलि के असिसटेंट मैनेजर अभिषेक कुमार के खिलाफ मामले दर्ज किए गए।

सुनवाई के बाद, अदालत ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 59 के तहत तीनों को क्रमशः छह महीने की कैद और 5,000 रुपये, 10,000 रुपये और 25,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

अदालत ने अपना फैसला खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत सुनाया। खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा, “अदालत में पेश किए गए सबूत स्पष्ट रूप से उत्पाद की घटिया गुणवत्ता के बारे में बताते हैं।”

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