नेपाल ने शुक्रवार को अपने 100 रुपये के नए नोट छापने की घोषणा की।

वैसे तो नोट छापना किसी भी देश का अपना आंतरिक मामला है, लेकिन नेपाल ने एक ऐसी हरकत की है जिससे भारत का नाराज होना तय है।

दरअसल नेपाली नोटों में एक मानचित्र होगा और उसमें विवादित स्थल लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा। भारत पहले ही इन क्षेत्रों को कृत्रिम रूप से विस्तारित करार दे चुका है।

सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने कैबिनेट फैसले के बारे में जानकारी देते हुए मीडियाकर्मियों को बताया, प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में 100 रुपये के नोट में नेपाल का नया नक्शा छापने का निर्णय लिया गया, जिसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा।” अब भारत का इस मुद्दे पर बयान आया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि अपनी ओर से कुछ करके वे (नेपाल) दोनों देशों के बीच स्थिति या जमीनी हकीकत को नहीं बदल पाएंगे।

जयशंकर ने भुवनेश्वर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। नेपाल के साथ, हम एक स्थापित मंच के माध्यम से अपनी सीमा मामलों पर चर्चा कर रहे हैं।

इसके बीच में उन्होंने एकतरफा तौर पर अपनी तरफ से कुछ कदम उठाए।” बता दें कि इस तरह की हरकतें करने वाला नेपाल पहला देश नहीं है।

भारत के चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी भी इसी तरह की हरकतें कर चुके हैं। हालांकि भारत हर बार उन्हें मुंहतोड़ जवाब देता रहा है।

विदेश मंत्री ओडिशा की राजधानी और कटक तथा संबलपुर में राज्य भाजपा इकाई द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए ओडिशा में हैं।

सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर, विदेश मंत्री ने कहा कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है, तो मोदी सरकार कभी कोई समझौता नहीं करेगी क्योंकि “भारत और उसकी सुरक्षा सबसे पहले” उनकी नीति है।

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