भारत से चल रहे राजनयिक विवादों के बीच मालदीव के विदेश मंत्री भारत दौरा करने वाले हैं।

ऐसी रिपोर्ट हैं कि दोनों देशों के बीच यात्रा की तारीख हालांकि तय नहीं हुई है लेकिन, सूत्रों का कहना है कि मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर मई के पहले या दूसरे सप्ताह तक भारत दौरा कर सकते हैं।

अगर मूसा भारत पहुंचते हैं तो चीनी समर्थक मालदीव सरकार का यह पहला भारत दौरा होगा। लोकसभा चुनाव के बीच मालदीव का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है।

भारत और मालदीव के बीच रिश्ते कुछ महीनों से उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं।

राष्ट्रपति चुनाव जीतने से पहले मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों की वापसी का नारा बुलंद करते हुए चुनाव जीता। राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों की वापसी सुनिश्चित भी कराई।

भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के लिए 10 मई तक की सीमा निर्धारित की गई है। दरअसल, मालदीव में भारतीय हेलिकॉप्टरों के संचालन और रख-रखाव के लिए भारतीय सैनिक हां तैनात हैं। अब सैनिकों की जगह भारतीय इंजीनियरों ने ले ली है।

मालदीव में पिछले कई दशकों से नया राष्ट्रपति पहला दौरा भारत का करता था लेकिन, मुइज्जू ने इस मिथक को तोड़ा और चीन का दौरा कर ऐसा करने वाले पहले मालदीव राष्ट्रपति बन गए।

मुइज्जू भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को सीमित करना चाहते हैं, जबकि उनका झुकाव चीन के प्रति ज्यादा है। अब मालदीव संसदीय चुनाव में भी बंपर जीत के बाद मुइज्जू के इरादे मजबूत हुए हैं।

हालांकि भारत के साथ कूटनीतिक तौर पर सहयोगी की अपेक्षा रखते हुए मालदीव इसी महीने भारत दौरा कर सकता है।

मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर अगर भारत आ जाते हैं तो इब्राहिम को हराकर मुइज्जू सरकार बनने के बाद यह मालदीव की पहली आधिकारिक यात्रा होगी।

 यह यात्रा भारत में लोकसभा चुनावों के बीच में हो रही है। बताया जा रहा है कि जमीर की यात्रा 10 मई की उस समय सीमा के आसपास हो सकती है, जिसमें मालदीव सरकार ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने और उनके स्थान पर इंजीनियरों को नियुक्त करने के लिए कहा था। 

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