अपनी मांगों को लेकर सरकार से भिड़ने को तैयार किसान शंभू और खनौरी सीमा पर बड़ी संख्या में ट्रैक्टर इकट्ठा कर रहे हैं।

किसानों की दिल्ली कूच की प्लानिंग है। हालांकि पुलिस ने दोनों सीमाओं पर किसानों को रोककर रखा है। इस बीच खबर है कि किसानों ने अपना आंदोलन फिर से हिंसक कर दिया।

बेरिकेडिंग हटाने के लिए जोर-जबरदस्ती करने की कोशिश में उनकी पुलिस से झड़प हो गई। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और खदेड़ने के लिए रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया।

इस घटना में 23 वर्षीय प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और 25 अन्य घायल हो गए, जिसमें दो की हालत गंभीर है।  

घायल किसानों में से दस को अस्पताल ले जाया गया, जबकि अन्य को शंभू के अस्थायी चिकित्सा शिविर में प्राथमिक उपचार दिया गया। घायल किसानों में से तीन को राजिंदरा अस्पताल, पटियाला रेफर कर दिया गया।

संगरूर के सिविल सर्जन डॉ कृपाल सिंह ने कहा कि 26 वर्षीय युवक के सिर में चोट लगी है और उसे राजिंदरा अस्पताल रेफर किया गया है। ऐसी जानकारी है कि प्रदर्शनकारी किसान की मौत की सूचना के बाद फिलहाल पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागने बंद कर दिए हैं।

घटना क्या हुई
जानकारी के अनुसार, बुधवार को पंजाब और हरियाणा सीमा को जोड़ने वाली खनौरी सीमा पर कुछ किसान बड़ी संख्या में बैरिकेड्स की ओर बढ़ रहे थे।

किसान बेरिकेड्स तोड़कर दिल्ली जाने पर अड़े थे। किसानों के हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए मौके पर तैनात हरियाणा पुलिस कर्मियों को मोर्चा संभालना पड़ा और किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। पुलिस टीम ने किसानों को खदेड़ने के लिए रबर की गोलियों का भी इस्तेमाल किया।

इस घटना में 23 साल के एक किसान की मौत हो गई और 25 प्रदर्शनकारी घायल हो गए। जिनका इलाज किया जा रहा है। खनौरी सीमा में पुलिस से मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल दो किसानों से मिलने के लिए किसान नेता राजिंदरा अस्पताल भी पहुंचे। 

उधर, किसान नेता डल्लेवाल और पंढेर का कहना है कि प्रदर्शनकारी किसान, जो सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोके जाने के बाद पंजाब और हरियाणा के बीच दो सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।

उनका कहना है कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से शंभू सीमा पर बैरिकेड और नाकाबंदी हटाने और किसानों को शांतिपूर्वक दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति देने का भी आग्रह किया है।

किसान नेताओं का कहना है, “हम देश के किसानों के हित में मरने और गोली खाने के लिए तैयार हैं क्योंकि यह अब पंजाब के किसानों की नहीं बल्कि पूरे देश की लड़ाई है।

अगर कोई गतिरोध होता है… तो यह सही कदम नहीं होगा, क्योंकि किसान दिल्ली पहुंचने के लिए अड़े हुए हैं और हम केवल शांतिपूर्वक आगे बढ़ना चाहते। परन्तु यदि वे हम पर गोलियां चलाएं या बल प्रयोग करें। फिर जो कुछ भी होगा उसकी जिम्मेदारी उन लोगों की होगी जिन्होंने ये बैरिकेड्स लगाए थे।” 

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