शंभू बॉर्डर पर किसानों और जवानों के बीच संघर्ष जारी है।

अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जाने के लिए अड़े किसानों को रोकने के लिए पुलिस हरसंभव उपाय कर रही है। किसानों पर आंसू गैस छोड़ने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पुलिस के इस ड्रोन को रोकने के लिए किसानों ने अनोखी तरकीब अपनाई है, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है। इन वीडियोज में दिखाया गया है कि ड्रोन से निपटने के लिए किसान पतंग उड़ा रहे हैं। इसके बाद ड्रोन वहां से हट जा रहे हैं। 

आंसू गैस छोड़ रहा था ड्रोन
पंजाब और हरियाणा शंभू बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान जुटे हुए हैं। यह किसान विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के वास्ते दिल्ली की ओर मार्च करने की कोशिश में बैरिकेड तोड़ने का प्रयास कर रहे थे।

हरियाणा पुलिस ने मंगलवार को उन किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने के वास्ते एक ड्रोन तैनात किया था।

किसानों ने दावा किया कि जब वे पंजाब क्षेत्र के अंदर खड़े थे तो ड्रोन ने उन पर आंसू गैस के कई गोले गिराए।

इस ड्रोन पर काबू पाने के लिए किसानों ने अनोखी तरकीब निकाली। उन्होंने पतंगें उड़ानी शुरू कर दीं। इसके बाद ड्रोन को मजबूरन वहां से पीछे हटना पड़ा। 

पंजाब पुलिस ने जताई आपत्ति
गौरतलब है कि पंजाब के अधिकारियों ने शंभू सीमा पर उनके क्षेत्र में आंदोलनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए हरियाणा द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

पंजाब के पटियाला के उपायुक्त शौकत अहमद पर्रे ने अंबाला के उपायुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि वे अंबाला के पास शंभू सीमा पर पंजाब के क्षेत्र के अंदर अपने ड्रोन न भेजें। पर्रे ने कहा कि अंबाला के अधिकारियों के समक्ष मामला उठाए जाने के बाद, उन्होंने अब सीमा पर ड्रोन के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। 

सरकार से तीसरे दौर की होने वाली है बात
उधर किसानों और केंद्र सरकार के बीच तीसरे दौर की बातचीत भी होने वाली है। गुरुवार को यह बातचीत होने वाली है। सरकार की तरफ से तीन केंद्रीय मंत्री इसमें शामिल होंगे।

हालांकि किसान संगठन का कहना है कि वह सरकार के दबाव में नहीं आएंगे और अपनी सभी मांगें मनवाकर ही रहेंगे।

गौरतलब है कि किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की भी मांग कर रहे हैं।

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