यूपीए के 10 सालों के कार्यकाल पर मोदी सरकार ने श्वेत पत्र लाने का फैसला लिया है।

इस बीच कांग्रेस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए एनडीए के 10 सालों के शासन पर ब्लैकपेपर लाने का फैसला लिया है।

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष मल्ल्किार्जुन खरगे की ओर से मोदी सरकार के 10 सालों के शासन पर ब्लैकपेपर पेश किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस इस ब्लैकपेपर में 10 सालों में मोदी सरकार की ओर से की गई खामियों और आर्थिक मुश्किलों को गिनाया जाएगा, जिनका लोगों को सामना करना पड़ा है। 

वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही ऐलान कर चुकी हैं कि वे यूपीए सरकार के 10 सालों के शासन पर श्वेत पत्र पेश करेंगी।

इसके जरिए मोदी सरकार यह बताना चाहती है कि यूपीए जब सत्ता से बाहर हुआ था तो देश की आर्थिक स्थिति कैसी थी।

नरेंद्र मोदी सरकार लगातार यह दोहराती रही है कि यूपीए के 10 सालों के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई थी और इसके चलते उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

अब इसे लेकर दस्तावेज ही पेश करने की तैयारी है। वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट के दौरान ही घोषणा की थी कि वह दोनों सदनों में वाइट पेपर पेश करेंगी। 

वित्त मंत्री ने अपने बजट में भाषण में कहा था, ‘उन दिनों पैदा किए गए संकट से हम बाहर आ गए हैं। हमारी अर्थव्यवस्था अब स्थिरता के रास्ते पर मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है और चहुंमुखी विकास हो रहा है।’

निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह देखना अब ससही होगा कि हम 2014 तक कहां थे और अब कहां हैं। इससे हम यह सीख सकेंगे कि उस दौर में क्या गलतियां हुई थीं।

इसीलिए सरकार वाइटपेपर संसद में पेश करेगी। दरअसल मोदी सरकार इस वाइट पेपर के जरिए अपने 10 साल के शासन की तुलना यूपीए की सरकार से करेगी। बता दें कि बजट सत्र का पहले 9 फरवरी को ही समापन होना था, जिसे अब 10 तारीख तक बढ़ा दिया गया है।

श्वेत, लाल या काला, कोई भी पत्र लाए मोदी सरकार, देंगे जवाब: अधीर

माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने वाइट पेपर पेश करने के लिए ही सत्र को एक दिन के लिए बढ़ा दिया है। अप्रैल-मई में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले वाइटपेपर पेश करके सरकार आंकड़ों के जरिए कांग्रेस को घेरना चाहती है।

वहीं अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि कांग्रेस किसी भी पत्र का जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को कांग्रेसफोबिया की समस्या है।

सरकार चाहे श्वेत पत्र लाए, लाल पत्र लाए या काला पत्र लाए। हमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन मेहुल चोकसी पत्र भी संसद में पेश किया जाना चाहिए।

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