वाराणसी के काशी विश्वनाथ परिसर में ज्ञानवापी ढांचा एक हिन्दू मंदिर तोड़कर बनाए जाने के प्रमाण के बाद विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने डिमांड रखी है।

विहिप का कहना है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट में वहां मंदिर होने के साक्ष्य मिलने हैं, इसलिए अब ज्ञानवापी मस्जिद को हिन्दू समुदाय को सौंप देना चाहिए।

विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि आधिकारिक और विशेषज्ञ संस्था एएसआई विभाग ने काशी में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई कर रहे जिला जज को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

ज्ञानवापी ढांचे से एएसआई द्वारा एकत्र किए गए सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि मस्जिद का निर्माण एक भव्य मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था। 

अपने बयान में अशोक कुमार ने कहा कि मंदिर की संरचना का एक हिस्सा, विशेष रूप से पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है।

रिपोर्ट यह भी साबित करती है कि मस्जिद की अवधि बढ़ाने और सहन के निर्माण में संशोधनों के साथ स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का पुन: उपयोग किया गया था।

जिसे वजू खाना कहा जाता था उसमें मौजूद शिवलिंग से इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि इस संरचना में मस्जिद का कहीं कोई चरित्र नहीं है।

उन्होंने कहा कि संरचना में पाए गए शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर सहित कई अन्य देवी-देवताओं के नामों का पाया जाना इसके मंदिर होने का स्पष्ट प्रमाण है।

डॉ. कुमार ने यह भी कहा कि एकत्र किए गए साक्ष्य और एएसआई द्वारा प्रदान किए गए निष्कर्ष यह साबित करते हैं कि इस पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था और वर्तमान में एक हिंदू मंदिर है।

इस प्रकार, पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 4 के अनुसार भी, संरचना को हिंदू मंदिर घोषित किया जाना चाहिए।

विहिप नेता ने हिंदुओं को तथाकथित वज़ू थाना क्षेत्र में पाए जाने वाले शिवलिंग की सेवा पूजा करने की अनुमति देने के साथ ही इंतज़ामिया समिति से ज्ञानवापी मस्जिद को सम्मान पूर्वक किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने और काशी विश्वनाथ के मूल स्थल को हिंदू समाज को सौंपने के लिए सहमत होने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि विहिप का मानना है कि यह नेक कार्य भारत के दो प्रमुख समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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