पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने INDIA अलायंस से अलग होकर ही लोकसभा चुनाव में उतरने का फैसला लिया है।

उनके अलावा पंजाब में आम आदमी पार्टी भी सभी 13 सीटों पर कैंडिडेट उतारने की बात कर रही है। इसके अलावा ममता दीदी के तेवर दिखाने पर आदित्य ठाकरे का कहना है कि वह शेरनी हैं।

उनके इस बयान के भी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। इस तरह INDIA अलायंस चुनाव के आगाज से पहले ही अलग-अलग सुर दिखाते हुए बंटता नजर आ रहा है।

सीट शेयरिंग के अलावा साझा रैलियों का जो प्लान था, वह भी खटाई में ही पड़ गया है। इसकी बानगी बुधवार को कर्पूरी ठाकुर की जन्मशती पर भी देखने को मिली।

पटना में जेडीयू का कर्पूरी जयंती पर आयोजन था, जिसमें सीएम नीतीश कुमार मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। इसके अलावा आरजेडी की भी अलग ही रैली थी, जिसमें लालू और तेजस्वी मौजूद थे।

ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं कि जब कर्पूरी जैसे समाजवादी नेता की जयंती पर भी विपक्ष के नेता एकजुट नहीं हैं तो फिर साझा रैलियों के कार्यक्रम का क्या होगा।

खास बात यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी आज से बुलंदशहर में रैली के साथ ही चुनाव अभियान का औपचारिक आगाज कर रहे हैं। इससे पहले वह साउथ इंडिया, महाराष्ट्र और गुजरात के दौरे कर ही चुके हैं।

विपक्ष के संयोजन में कमी इस हद तक है कि साझा रैलियों के प्लान पर अब कोई बात ही नहीं हो रही है, जबकि अक्टूबर में ही ऐसे एक आयोजन का प्लान था।

विपक्ष की भोपाल में मध्य प्रदेश चुनाव से पहले ही एक संयुक्त रैली की जानी थी, जिस पर कमलनाथ ने ब्रेक लगा दिया था। अब इस बारे में कोई चर्चा तक नहीं हो रही है और सीट शेयरिंग के नाम पर कुनबा बिखरने लगा है, वह संकट अलग है।

ममता बनर्जी ने तो अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए सीट शेयरिंग की समस्या बताई तो समन्वय की कमी का भी जिक्र किया।

उन्होंने साफ कहा कि राहुल गांधी की यात्रा बंगाल पहुंचने वाली है, लेकिन उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं दी गई है।

बता दें कि राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा आज बंगाल पहुंच जाएगी और अगले कुछ दिनों में उसकी बिहार में एंट्री होगी।

फिर भी अब तक बंगाल में टीएमसी और बिहार में आरजेडी एवं जेडीयू को साथ नहीं लिया गया है। यह स्थिति विपक्ष में बिखराव को दर्शा रही है।

खासतौर पर सीट शेयरिंग को लेकर महाराष्ट्र से पंजाब तक टकराव बना हुआ है। वहीं बिहार में आरजेडी और जेडीयू और यूपी में समाजवादी पार्टी कांग्रेस को भाव देने के मूड में नहीं है।

ऐसे में विपक्ष की यही स्थिति है कि कौन दिशा में लेकर चला रे बटोहिया। चुनावी अभियान शुरू होने को है और उसकी एकता किस हद तक है, यह देखने के लिए आने वाले दिन बेहद अहम होंगे।

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