आने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियां इंडिया गठबंधन के बैनर तले भाजपा से लोहा लेने वाली हैं।

मगर गठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई एकमत नहीं हो पा रहा है। इंडिया गठबंधन के घटक दलों – कांग्रेस और टीएमसी के बीच पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर ठन गई है।

ऐसा बताया जा रहा है कि बंद कमरे के पीछे पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने बंगाल के सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

पहले टीएमसी, कांग्रेस को मौजूदा दो सीटें ऑफर कर रही थी मगर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की हालिया बैठक के बाद यह बात छन कर आ रही है बंगाल में टीएमसी सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। वहीं अब कांग्रेस एकला चलो की राह पर है।

पश्चिम बंगाल में टीएमसी के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात पर बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने बयान दिया है।

उन्होंने कहा कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता की टीएमसी क्या कर रही है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमारे नेताओं ने इस मुद्दे पर बात की है।

मैं चुनाव लड़कर और जीतकर यहां पहुंचा हूं। मुझे पता है कि कैसे लड़ना है और कैसे जीतना है।” बता दें बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी 1999 से मुर्शिदाबाद की बेरहामपुर लोकसभा सीट जीत रहे हैं।

2011 की जनगणना के अनुसार, इस जिले में बंगाल की सबसे अधिक 66.28% मुस्लिम आबादी है। हालांकि, सीपीआई (एम) की तरह कांग्रेस 2021 में बंगाल में एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत सकी। 

ममता की बैठक में क्या हुआ
नाम न छापने की शर्त पर बोलते हुए एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने कहा, “बैठक में भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर ने जब कहा कि अधीर रंजन चौधरी की मौजूदगी मुर्शिदाबाद में एक बड़ा कारक है, तो बनर्जी भड़क गईं। उन्होंने नाराज लहजे में कबीर से कहा कि चौधरी बिल्कुल भी कोई कारक नहीं हैं क्योंकि टीएमसी ने 2021 में उनके निर्वाचन क्षेत्र में सभी विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की और 2019 में जिले की अन्य दो लोकसभा सीटें- मुर्शिदाबाद और जंगीपुर भी जीतीं। नेता ने कहा, “ममता बनर्जी ने एक ही सांस में कहा कि टीएमसी बंगाल में सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।”

बैठक के बाद यही बात कबीर ने मीडिया के सामने भी कही। उन्होंने कहा, “2021 के चुनावों में वोट शेयर के मामले में टीएमसी बरहामपुर, मुर्शिदाबाद और जंगीपुर में कांग्रेस से बहुत आगे है। चौधरी भारतीय जनता पार्टी के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। वह कोई कारक नहीं है। टीएमसी बंगाल में सभी 42 सीटें जीत सकती है।”

हालांकि, कांग्रेस और सीपीआई (एम) ने पहले कहा था कि इंडिया गठबंधन का मॉडल बंगाल में काम नहीं करेगा क्योंकि वे टीएमसी और बीजेपी दोनों के विरोधी हैं, लेकिन 19 दिसंबर को चीजों में एक नया मोड़ आया जब गठबंधन के नेताओं की दिल्ली में बैठक हुई।

बैठक में बनर्जी ने कहा कि वह बरहामपुर और निकटवर्ती मालदा जिले की मालदा दक्षिण सीट से उम्मीदवार नहीं उतारेंगी जिस पर 2009 से कांग्रेस का कब्जा है।

अधरी और ममता के बीच बढ़ीं तल्खियां
मालदा जिले में बंगाल की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री एबीए गनी खान चौधरी के दो भाइयों में से एक अबू हासेम खान चौधरी के पास मालदा दक्षिण सीट है।

हालांकि, ममता द्वारा की गई सीटों की पेशकश के बाद अधीर रंजन चौधरी उनके खिलाफ बयान देने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि उन्हें टीएमसी के खैरात की जरूरत नहीं है।

बंगाल में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कुछ दिन पहले, शुक्रवार को घटनाक्रम में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान में एक मोड़ सामने आया।

चौधरी ने हाल ही में मणिपुर की यात्रा की और राहुल गांधी के साथ बैठक की। उन्होंने मंगलवार को कहा कि सीट बंटवारे पर अन्य दलों के साथ मतभेदों को सुलझाना मुश्किल नहीं होगा।

हालांकि, उन्होंने विशेष रूप से बंगाल का नाम नहीं लिया। कुछ कांग्रेस नेताओं ने कहा कि चौधरी को सार्वजनिक रूप से टीएमसी और बनर्जी के खिलाफ न बोलने की सलाह दी गई है।

अधीर रंजन चौधरी से शुक्रवार रात 8 बजे तक संपर्क नहीं हो सका लेकिन उनके करीबी सहयोगियों में से एक मुर्शिदाबाद के पूर्व विधायक और वरिष्ठ पीसीसी नेता मनोज चक्रवर्ती ने बनर्जी का विरोध किया।

चक्रवर्ती ने कहा, “चाहे ममता बनर्जी 42 या 442 उम्मीदवार उतारें, यह कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन चौधरी निश्चित रूप से एक कारक हैं। यह तब साबित हुआ जब कांग्रेस ने पिछले साल मुर्शिदाबाद में सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में टीएमसी को हराकर जीत हासिल की। बनर्जी के बयान ने उनके डर को उजागर कर दिया है।”

कैसी रणनीति चा रही हैं ममता बनर्जी
टीएमसी नेताओं को लगता है कि बनर्जी एक ऐसी चुनावी रणनीति चाहती हैं जो बीजेपी को मुस्लिम समुदाय द्वारा डाले गए वोटों में किसी भी तरह के विभाजन का फायदा उठाने से रोक सके।

2011 की जनगणना के दौरान बंगाल की मुस्लिम आबादी 27.01% थी और अब बढ़कर लगभग 30% होने का अनुमान है।

सर्वेक्षणों से पता चला है कि मुस्लिम वोटों में बदलाव बंगाल के 294 विधानसभा क्षेत्रों में से कम से कम 120 में चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है।

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