नई दिल्ली। पीएम मोदी आज लोकसभा को संबोधित कर रहे हैं। यहां वह संविधान की 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा में भाग लेने पहुंचे हैं। इस दौरान लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा कि संविधान के 75 वर्ष की यात्रा यादगार यात्रा है और विश्व के सबसे महान और विशाल लोकतंत्र की यात्रा है। पीएम ने अनुच्छेद 370 को लेकर कहा कि आर्टिकल 370 देश की एकता में रुकावट बना हुआ था। इसके साथ पीएम मोदी ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है।

पीएम मोदी ने कहा कि संविधान के 75 वर्ष की यात्रा यादगार यात्रा है और विश्व के सबसे महान और विशाल लोकतंत्र की यात्रा है। ये 75 वर्ष पूर्ण होने पर एक उत्सव मनाने का पल है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हमारी नीतियों को देखेंगे तो भारत की एकता को मजबूती देने का निरंतर हम प्रयास करते रहे हैं। आर्टिकल 370 देश की एकता में दीवार बना पड़ा था, लेकिन देश की एकता हमारी प्राथमिकता थी, इसीलिए आर्टिकल 370 को हमने जमीन में गाड़ दिया।

1975 के आपातकाल को लेकर विपक्ष पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान के 75 साल हो गए हैं, लेकिन 25 साल का भी अपना महत्व है, 50 साल और 60 साल का भी अपना महत्व है। जब देश संविधान के 25 साल देख रहा था, उसी समय हमारे देश में संविधान की धज्जियाँ उड़ा दी गईं। आपातकाल लगा दिया गया, लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ खत्म कर दी गईं, देश को जेलखाना बना दिया गया, नागरिकों के अधिकारों को लूटा गया, प्रेस की आज़ादी पर ताले लगा दिए गए।

कांग्रेस के माथे पर लगा यह पाप कभी नहीं मिट सकता। जब भी दुनिया भर में लोकतंत्र की चर्चा होगी, कांग्रेस का यह पाप कभी नहीं मिटेगा, क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंटा गया। कांग्रेस ने निरंतर संविधान की अवमानना की है। संविधान के महत्वों को कम किया है। बहुत कम लोगों को पता है 35ए को संसद में लाए बिना देश पर थोप दिया। जम्मू कश्मीर में जो हालात पैदा हुए, वो न होती। उनके (कांग्रेस) पेट में पाप था।

मोदी ने कहा कि नेहरू जी ने जो शुरू किया, इंदिरा जी ने उसे आगे बढ़ाया और राजीव जी ने उसे और मजबूत किया, उसे सहारा देकर पोषित किया। क्योंकि संविधान के साथ छेड़छाड़ करने की आदत बहुत गहरी हो गई थी। अगली पीढ़ी भी इस छेड़छाड़ में शामिल हो गई। न्यायमूर्ति एच.आर. खन्ना, जिन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ उनके चुनाव मामले में फैसला सुनाया था, उनके गुस्से का निशाना बने। न्यायमूर्ति खन्ना, वरिष्ठता के आधार पर सुप्रीम के मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में थे और उन्हें जानबूझकर मुख्य न्यायाधीश का पद नहीं दिया गया। यह संविधान और लोकतंत्र की घोर अवहेलना थी।

इनके मुंह खून लग गया था इसलिए राजीव गांधी जी ने संविधान को एक और गंभीर झटका दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो का जजमेंट दिया था, जिसे राजीव गांधी ने शाह बानो की उस भावना को सुप्रीम कोर्ट की उस भावना को नकार दिया और वोट बैंक की राजनीति की खातिर संविधान को बलि चढ़ा दिया और कट्टरपंथियों के सामने सिर झुकाने को मजबूत कर दिया। उन्होंने कट्टरपंथियों का साथ दिया। संसद में कानून बनाकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया गया।

मनमोहन सिंह जी ने भी कहा था कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र हैं। इतिहास में पहली बार संविधान को गहरी चोट पहुंचा दी गई, संविधान निर्माताओं ने चुनी हुई सरकार की कल्पना की थी। लेकिन इन्होंने प्रधानमंत्री के ऊपर भी एक गैर संवैधानिक व्यक्ति को बैठा दिया। उसे पीएमओ के ऊपर का दर्जा दे दिया। एक पीढ़ी और आगे चलें तो उस पीढ़ी ने भारत के संविधान के तहत देश की जनता सरकार चुनती है, उस सरकार का मुखिया कैबिनेट बनाता है। इस कैबिनेट ने जो फैसला लिया। इस अहंकार से भरे लोगों ने कैबिनेट के फैसले को प्रेस के सामने फाड़ दिया। संविधान से खिलवाड़ करना, संविधान को ना मानना इनकी आदत हो गई थी। एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के फैसले को फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे, ये कौन सी व्यवस्था है।

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