नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वें एशियाई प्रशांत-जर्मन व्यापार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन बहुत विशेष है। जर्मनी के चांसलर और मेरे मित्र ओलाफ स्कोल्ज़ चौथी बार भारत आए हैं। पहले मेयर के रूप में और तीन बार चांसलर बनने के बाद उनका यहां आना भारत और जर्मनी संबंधों पर उनके फोकस को दिखाता है।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत की विकास गाथा में शामिल होने का यही समय और सही समय है। जब भारत की गतिशीलता और जर्मनी की परिशुद्धता मिलती है, जब जर्मनी की इंजीनियरिंग और भारत का नवाचार मिलता है और जब जर्मनी की प्रौद्योगिकी और भारत की प्रतिभा का मिलन होता है तो यह इंडो-पैसिफिक सहित दुनिया के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करता है।

पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी व्यवसाय जगत में हैं और आपका मंत्र है जब हम मिलते हैं, तो हमारा मतलब व्यापार होता है। लेकिन भारत आना सिर्फ बिजनेस नहीं है। यदि आप भारत की संस्कृति, यहां का लज़ीज भोजन और खरीदारी के लिए समय नहीं देंगे, तो आप कई चीजों से चूक जाएंगे, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, इससे आप भी खुश होंगे और घर वापस जाएंगे तो आपका परिवार और अधिक खुश होगा।

पीएम मोदी ने कहा कि यह साल भारत-जर्मनी स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप का 25वां वर्ष है। आने वाले 25 वर्ष इस पार्टनरशिप को नई बुलंदी देने वाले हैं। हमने आने वाले 25 वर्षों में विकसित भारत का एक रोडमैप बनाया है। आज एक तरफ सैकड़ों जर्मन कंपनियां भारत में हैं तो भारतीय कंपनियां भी जर्मनी में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि जर्मनी ने स्किल्ड भारतीयों के लिए हर साल मिलने वाले वीजा की संख्या 20 हज़ार से बढ़ाकर 90 हज़ार करने का फैसला किया है। मुझे विश्वास है कि इससे जर्मनी के विकास को नई गति मिलेगी।

पीएम ने कहा कि भारत की जनता एक स्टेबल पोलिटी और प्रिडिक्टेबल पॉलिसी इकोसिस्टम को बहुत महत्व देती है। यही वजह है कि 60 साल बाद एक सरकार को लगातार तीसरी बार मौका मिला है। भारत डेमोक्रेसी (लोकतंत्र), डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी), डिमांड (मांग) और डेटा के चार मजबूत स्तंभों पर खड़ा है। टैलेंट (प्रतिभा), टेक्नोलॉजी (प्रौद्योगिकी), इनोवेशन (नवाचार) और इंफ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचा) भारत के विकास के उपकरण हैं। इन सभी को चलाने के लिए, भारत में एक मजबूत ताकत है-एआई- आकांक्षी भारत और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-ये दोहरी शक्ति भारत में है। भारत भविष्य की दुनिया की जरूरतों पर काम कर रहा है।

वहीं जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने कहा कि 21वीं सदी की दुनिया कुछ ऐसी है जहां प्रगति एक प्रश्न है जिसके लिए हमें काम करना है। यदि रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने अवैध क्रूर युद्ध में सफलता मिलती है, तो इसका परिणाम यूरोप की सीमाओं से परे होगा, जिससे समग्र रूप से वैश्विक सुरक्षा और समृद्धि खतरे में पड़ जाएगी। आइए हम इन संघर्षों के राजनीतिक समाधान लाने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं वह करें जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों पर आधारित हों।

 

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