कल से पूरे देश में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। इस पावन पर्व में देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है और घरों में घट स्थापना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन श्रद्धालु मां दुर्गा की आराधना कर उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। इस दिन को खासतौर पर घट स्थापना के लिए शुभ माना जाता है, जिसे कलश स्थापना या घटस्थापना भी कहते हैं। यह पूजा विधि नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक होती है, जिसमें भक्तजन माँ दुर्गा का आह्वान करते हैं।

नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल 3 अक्टूबर को 00:18 बजे आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा ति​थि शुरू होगी। 4 अक्टूबर को तड़के सुबह 2 बजकर 58 मिनट तक यह तिथि मान्य रहेगी। इस दौरान उदयाति​थि के आधार पर शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ इस साल 3 अक्टूबर गुरुवार के दिन से होगा।

घट स्थापना शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। घट स्थापना का शुभ समय 3 अक्टूबर 2024 को सुबह 6:10 बजे से लेकर 7 बजकर 22 मिनट तक है। इसके अलावा घट स्थापना के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय मिलेगा। यह समय देवी के पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। अगर इस समय के दौरान घट स्थापना नहीं कर पाते हैं, तो अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना की जा सकती है, जो सुबह 11:45 से 12:30 बजे तक रहेगा।

घट स्थापना की सरल विधि
1. साफ-सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल और अपने घर को अच्छे से साफ करें। पूजा के लिए एक पवित्र स्थान चुनें।

2. कलश की तैयारी: एक साफ मिट्टी या तांबे का कलश लें और उसमें गंगाजल या शुद्ध जल भरें। कलश के मुंह पर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर एक नारियल रखें, जिस पर लाल कपड़ा लपेटा हो।

3. मिट्टी में जौ बोना: घट स्थापना के समय मिट्टी के बर्तन में जौ बोना शुभ माना जाता है। इसे कलश के साथ रखा जाता है, जो उन्नति और समृद्धि का प्रतीक होता है।

4. संकल्प: माँ दुर्गा की आराधना करते समय अपने मन में संकल्प लें कि इन 9 दिनों तक आप पूरी श्रद्धा से उपवास, पूजा और ध्यान करेंगे।

5. दीप जलाना: घट स्थापना के बाद एक अखंड दीप जलाएं, जो पूरे नवरात्रि के दौरान जलता रहे। यह दीप माता की अखंड उपस्थिति और आपकी भक्ति का प्रतीक होता है।

6. माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर: घट स्थापना के बाद माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने फूल, फल, मिठाई, और नारियल अर्पित करें। साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या माता के मंत्रों का जाप करें।

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