नई दिल्ली। नेपाल में मौसम की मार जारी है। पड़ोसी देश भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहा है। पिछले 24 घंटे में नेपाल में 122 लोगों की मौत हो गई है। 64 लोग लापता है। 100 से अधिक लोग घायल हैं।

सशस्त्र पुलिस बल के सूत्रों के अनुसार, बाढ़ और भूस्खलन के कारण 64 लोग लापता हैं। 45 लोग घायल हुए हैं। काठमांडू घाटी में सबसे ज्यादा 48 लोगों की मौत हुई है। कम से कम 195 मकान और आठ पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सुरक्षाकर्मियों ने करीब 3,100 लोगों को बचाया है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने काठमांडू घाटी में पिछले 40-45 साल में इतनी विनाशकारी बाढ़ नहीं देखी। सशस्त्र पुलिस बल ने कहा कि मृतकों की संख्या 122 हो गई है। काठमांडू के पास स्थित धादिंग जिले में शनिवार को एक बस के भूस्खलन की चपेट में आने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई। भक्तापुर शहर में भूस्खलन में एक मकान ढहने से पांच लोगों की मौत हो गई।

मकवानपुर में ‘ऑल इंडिया नेपाल एसोसिएशन’ द्वारा संचालित एक प्रशिक्षण केंद्र में भूस्खलन की घटना में छह फुटबॉल खिलाड़ियों की जान चली गई और अन्य लोग बाढ़ के पानी में बह गए। मंगलवार तक बारिश जारी रहने के अनुमान के बावजूद रविवार को थोड़ी राहत मिली।

इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलेपमेंट में जलवायु और पर्यावरण विशेषज्ञ अरुण भक्ता श्रेष्ठ ने कहा, ‘मैंने काठमांडू में पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर बाढ़ नहीं देखी।’ आईसीएमओडी द्वारा शनिवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया कि काठमांडू की मुख्य नदी बागमती शुक्रवार और शनिवार को पूर्वी तथा मध्य नेपाल में मूसलाधार बारिश के बाद से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

रिपोर्ट में कहा गया कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की स्थिति और मानसून की स्थिति के कारण शनिवार को असाधारण रूप से ज्यादा बारिश हुई। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे एशिया में बारिश की मात्रा और समय में बदलाव आ रहा है।

बाढ़ और भूस्खलन के कारण नेपाल के कई हिस्सों में जनजीवन ठप हो गया है। कई राजमार्ग और सड़कें बंद हैं। सैकड़ों मकान और पुल बह गए हैं तथा सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए हैं। सड़क बंद होने के कारण विभिन्न स्थानों पर हजारों यात्री फंसे हुए हैं।

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