नई दिल्ली। बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन अब बड़े आंदोलन में बदल चुका है। प्रधानमंत्री शेख हसीना अपना पीएम आवास छोड़कर भारत पहुंच चुकी हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक शेख हसीना का हेलीकॉप्टर अगरतल्ला पहुंच गया है। दावा किया जा रहा है कि वो पश्चिम बंगाल में रहेंगी। पीएम के साथ उनकी बहन रेहाना भी हैं।

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में मिल रहे कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग को लेकर छात्र एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार से पहले हुए हिंसा में 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बांग्लादेश सरकार ने देश में सभी सोशल मीडिया साइट को बंद कर दिया है। इंटरनेट, मोबाइल सेवाएं बंद कर पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

बता दें कि 1971 में जब बांग्लादेश आजाद हुआ था तो वहां 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हुआ। इसमें पिछड़े जिलों के लिए 40%, स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30% और महिलाओं को 10% का आरक्षण दिया गया। वहीं सामान्य छात्रों के लिए महज 20 फीसदी सीटें रखी गई। बाद में पिछड़े जिलों के आरक्षण को घटाकर 10% कर दिया गया, जिसके बाद सामान्य छात्रों के लिए 45% सीटें आरक्षित हो गई। वहीं स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-बेटियों को मिलने वाले आरक्षण में उनके पोते-पोतियों को भी जोड़ दिया गया।

मामला आदलत में पहुंचा और 21 जुलाई को वहां के सर्वोच्च न्यायालय ने उस व्यवस्था को पलट दिया जिसके तहत सभी सिविल सेवाओं के लिए दोबारा आरक्षण लागू कर दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अब केवल पांच फीसदी नौकरियां स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए आरक्षित होंगी। इसके अलावा दो फीसदी नौकरियां अल्पसंख्यकों या दिव्यांगों के लिए आरक्षित रहेगी।

यानी कि कुल 7 फीसद ही आरक्षण रहेगा। बाकी पद योग्यता के आधार पर भरे जाएंगे। यानी 93 फीसदी भर्तियां अनारक्षित कोटे में डाल दी गई, इसके बावजूद आंदोलन चलता रहा और हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। शेख हसीना को त्यागपत्र देकर भागना पड़ा है। बताया जा रहा है कि वह दिल्ली के दूतावास में शरण लेंगी। वहां की सेना ने सभी लोगों से संयम बरतने की अपील की है।

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